मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती जी की 59वी पुन्य तिथि मनाई
कुंजूरात्रेमहासमुंद प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय उपकार भवन नयापारा में आध्यात्मिक संस्थान की आधारशिला रही मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती जी की 59वी पुन्य तिथि मनाई गई, प्रातः काल से ही श्रद्धांजलि सभा में पूरा ईश्वरीय परिवार मौन में रह पिता शिव बाबा की याद में रहे एवं उस दिव्य आत्मा के श्रेष्ठ कर्तव्य को जीवन में लाने का दृढ़ संकल्प लिया, सेवाकेंद्र संचालिका ब्रम्हा कुमारी प्रिती बहन आज की मुरली (परमातम महावाकय) में सुनाया मातेश्वरी जी को यह बात कंठस्थ था कि यह संसार एक नाटक शाला है और हम सभी अपना अपना किरदार निभाते हैं, निराकार परमात्मा शिव इस नाटक शाला के क्रिएटर डायरेक्टर और एक्टर तीनों है यह नाटक तीन घंटे का नहीं अपितु पूरे 5000 हजार वर्ष का है,अब यह नाटक पूरा होने को है और हमारा भारत पुनः सोने की चिड़िया बनने जा रहा है, दीदी ने मम्मा की वाणी में आगे सुनाया हमें सद्कर्मों का बीज बोने की कला सिखनी चाहिए यदि कर्म रूपी बीज अच्छी क्वालिटी की तो फल भी दुःख के रूप में भोगना पड़ेगा,हमें पिता परमात्मा से आनेसट आज्ञाकारी पंचुअल रहना होगा तब जाकर भविष्य में हमें देवत्व की प्राप्ति होगी , मम्मा कहतीं थी हर घड़ी को अन्तिम घड़ी समझकर चले इससे पाप नहीं होंगे इसके बाद शिव बाबा को मम्मा के नाम भोग स्वीकार कराया गया