छत्तीसगढ़

महासमुंद वनमण्डलाधिकारी बीट गार्ड नीलकंठ दीवान को आखिर क्यों उनके कार्य क्षेत्र में नहीं भेज रहे हैं

कुजू रात्रे महासमुंद / जिले की पूर्वी क्षेत्र में स्थित बागबाहरा वैसे तो बागबाहरा को माता चंडी घूंचापाली के नाम से जाना जाता है. लेकिन बागबाहरा ब्लॉक को देखा जाए तो एक छोटा सा मात्र ब्लॉक बस ही है. परंतु यदि दूसरे सिरे से देखा जाए तो बागबाहरा को भ्रष्टाचार का गढ़ माना जा सकता है. कारण यह है कि जिले से सटे होने के नाम से राजनीतिक गतिविधियां हमेशा सुर्खियों में रहती है. यहां पर हर विभाग में कोई ना कोई किसी मामले में लिप्त रहते हैं.किंतु राजनेताओं के सपोर्ट के चलतेइनको बचा लिया जाता है. यही कारण है कि, सबको खिलाएंगे और खुद भी गटकेंगे वाली नीतियों का पालन किया जाता है.बता दे सामान्य वन मंडल महासमुंद वन परिक्षेत्र बागबाहरा के बोकरामुड़ाकला में पदस्थ बीट गार्ड नीलकंठ दीवान को बागबाहरा के वन परिक्षेत्र अधिकारी लोकनाथ ध्रुव के द्वारा लाया गया है. सुविज्ञ सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बोकरामुड़ाकला में पदस्थ बीट गार्ड नीलकंठ दीवान जब से बागबाहरा वन परिक्षेत्र में बीट गार्ड के पद पर पदस्थ हुए हैं. उनको तो ऐसा लगता है कि, उनके हाथ अलादीन का चिराग मिल गया हो और अलादीन के चिराग के घर्षण मात्र से उत्पन्न अलादीन मानो बीट गार्ड की सारी मनोकामनाएं झट से पूरी कर देते हैं. बोकरामुड़ाकला में पदस्थ बीट गार्ड नीलकंठ दीवान एक तो निचले स्तर के कर्मचारियों की श्रेणी में आते हैं. इनको हमेशा अपने कार्य क्षेत्र में रहकर बीट की रक्षा हेतु हमेशा तत्पर होना चाहिए किंतु बागबाहरा में पदस्थ नवागंतुक वन परिक्षेत्र अधिकारी लोकनाथ ध्रुव की कहानी कुछ ऐसी है कि, उनके नीचे कार्य करने वाले नीलकंठ दीवान आज वन परिक्षेत्र अधिकारी की जिंदगी जी रहे हैं और वन परिक्षेत्र अधिकारी बीट गार्ड की जिंदगी जी रहे हैं कभी बागबाहरा के रेस्ट हाउस में विश्राम करते हैं तो कभी अपने गृह ग्राम आरंग रायपुर अप डाउन करने मजबूर हो गए हैं. ऐसी क्या वजह है कि, बीट गार्ड नीलकंठ दीवान को उनके कार्य क्षेत्र में न भेज कर स्वयं भगवान रामचंद्र जी को मिले 14 वर्ष कठोर वनवास जैसी जिंदगी काटने मजबूर हो गए हैं. विगत दिनों में वेब पोर्टल व सोशल मीडिया के माध्यम से शासन प्रशासन को आइना दिखाया गया किंतु लगता है शासन प्रशासन को वो आईना धुंधला दिखाई दे रहा हो. इसके विरुद्ध मीडिया की पड़ताल पश्चात शिकायत भी किया गया. किंतु महासमुंद के सामान्य वन मंडल में पदस्थ वन मंडल अधिकारी पंकज राजपूत को भी इसकी भनक नहीं लगी हो. ऐसी चुप्पी साधे बैठे हुए हैं. बता दे महासमुंद के वन मंडल अधिकारी अपने आप को प्रधान मुख्य वन संरक्षक से कम नहीं समझते हैं. मीडिया के द्वारा उनका पक्ष जानने हेतु फोन करने पर भी प्रतिउत्तर नहीं देते हैं. न ही फोन उठाते हैं. इससे साफ झलकता है कि, खुद तो यहां पर पिछले 4 सालों से दही की तरह जमे हुए हैं. इनका स्थानांतरण सूची में नाम आने पश्चात भी ऊपरी सीर्ष पर बैठे उच्च अधिकारियों की जेब गर्म कर महासमुंद जिले से हटाने का नाम नहीं ले रहे हैं.अब ऐसी स्थिति में सामान्य वन मंडल ने पदस्थ कर्मचारी व अधिकारी अपने आप को वनमंत्री से कम नहीं समझते हैं. आज आलम यह है कि, एक अभ्यर्थी वन विभाग में जल जंगल और जमीन की सुरक्षा हेतु संकल्प लेता है और नौकरी करता है किंतु कुछ सालों बाद देखा जाए तो वहीं रक्षक जंगल का सबसे बड़ा भक्षक बन जाता है. किंतु जब ऐसे भक्षकों के खिलाफ कोई मीडिया कर्मी आवाज उठाता है तो उच्च स्तर में बैठे उच्च अधिकारी राजनेता गन अपने आंख व कान दोनों बंद कर लेते हैं. और ऐसे भ्रष्टाचारियों के हौसले के दिन प्रतिदिन बढ़ते जाते हैं क्यों…?

Related Articles

One Comment

  1. आदरणीय सर जी न्यूज में उन दोषी अधिकारियों का नम्बर भी रखा करिए ताकि जनता स्वयं उनसे फोन करके शिकायत कर सके । न्यूज़ में फोटो भी लगाया करिए।
    साथ में स्थानीय नेताओं का या उच्च अधिकारियों का क्या कमेन्ट है, मेंशन किया करिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button