छत्तीसगढ़

मुकेश चंद्राकर बीजापुर में “बस्तर जंक्शन” नामक यूट्यूब चैनल चलाते थे,

 

संपादक कुंज कुमार रात्रे महासमुंद छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के चर्चित पत्रकार मुकेश चंद्राकर बीते तीन दिनों से लापता हैं। सोशल मीडिया में खबर आ रही है कि उनकी अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी है।

लाश उनके घर के पास मिली है।इस खबर ने पूरे पत्रकार जगत में सनसनी फैला दी है।पुलिस ने शुरुआती जांच में अपहरण की आशंका जताई है और मामले को सुलझाने के लिए तेजी से कदम उठा रही है। बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने आज दोपहर में मीडिया को बताया कि इस मामले में कुछ अहम सुराग मिले हैं और एक संदिग्ध को हिरासत में लिया गया हैदरअसल, 1 जनवरी की शाम मुकेश चंद्राकर टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनकर घर से निकले थे। कुछ देर बाद उनका फोन बंद हो गया। जब रात तक वे घर नहीं लौटे, तो उनके भाई और साथी पत्रकार यूकेश चंद्राकर ने उनकी तलाश शुरू की।

करीबियों और संभावित स्थानों पर खोजबीन के बाद जब कोई सूचना नहीं मिली, तो युकेश ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।

CCTV और संदिग्ध पर पुलिस की नजर

शहर के CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है। जांच में पुलिस को कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। एक संदिग्ध को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है। फेसबुक यूजर अंशु रजक ने लिखा है –बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर को एक ठेकेदार ने मार डाला अपने घर के सेप्टिक टैंक में दफना दिया.. वो भी सिर्फ इसलिए क्योकि उसके भ्रष्टाचार को मुकेश ने उजागर किया.. सच्चाई लोगो को बताई और इसका परिणाम मिला मौत .. छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की जरूरत है..

मुकेश चंद्राकर: नक्सल मुद्दों की रिपोर्टिंग में सक्रिय नाम

मुकेश चंद्राकर बीजापुर में “बस्तर जंक्शन” नामक यूट्यूब चैनल चलाते थे, जो नक्सल गतिविधियों और मुद्दों की रिपोर्टिंग के लिए जाना जाता है। उनकी निर्भीक पत्रकारिता ने उन्हें क्षेत्र में एक अलग पहचान दिलाई है।

सक्रिय पत्रकार की हत्या ने बस्तर के पत्रकार समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने बस्तर आईजी से मुलाकात कर मामले को जल्द सुलझाने और मुकेश का पता लगाने की मांग की थी। कई पत्रकारों का दल भी उनकी तलाश में जुटा हुआ था।मुकेश चंद्राकर की हत्या की खबर ने स्थानीय लोगों और प्रशासन को गहरी चिंता में डाल दिया है। क्षेत्र में उनके योगदान और निर्भीक पत्रकारिता को देखते हुए, यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रेस स्वतंत्रता और सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा करता है।

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