छत्तीसगढ़

महिलाओ से संबधित अपराधों के बारे मे दी गई विस्तार से जानकारी 

छात्रावास मे किया गया विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन 

संपादक कुंज कुमार रात्रे महासमुंद 30 नवंबर 2024/ जिले में विधिक जागरूकता विषयों पर आधारित तथा विशेष कानूनी थीम सरल कानूनी शिक्षा के माध्यम से माननीय न्यायाधीशों द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महासमुंद के सचिव श्री दामोदर प्रसाद चंद्र ने बताया कि जिला न्यायालय तथा तालुका स्थित न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा स्कूल कॉलेज छात्रावास तथा ग्राम पंचायत में जाकर शिविर के माध्यम से छात्राओं एवं नागरिकों को अलग-अलग कानून के विषयों पर आधारित सरल कानूनी शिक्षा के माध्यम से जानकारी दी जा रही है इसी तारतम में आज प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुश्री संघपुष्पा भतपहरी ने मचेवा स्थित मैट्रिक आदिवासी कन्या छात्रावास पहुंच कर उपस्थित छात्राओं को कानून के विभिन्न विषयों से संबंधित सर्व सरल एवं संस्था पूर्ण जानकारी प्रदान की गई तथा उत्सुक छात्रों के पूछे जाने वाली प्रश्नों की जानकारी विस्तार पूर्वक दी गई शिविर में प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा अपने उद्बोधन में महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित होने वाले अपराधों एवं महिलाओं के अधिकार संबंधित कानून जैसे महिला अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 यह कानून महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है

इसी प्रकार दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 या कानून देश की मांग एवं दहेज के कारण होने वाली हिंसक के रोकने के लिए बनाया गया है महिला सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत यहां कानून महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के लिए कठोर धन का प्रावधानों को उल्लेखित करता है इसके अलावा यौन उत्पीड़न अधिनियम बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम महिला आरक्षण विधेयक 2019 तथा महिला सशक्तिकरण नीति तथा यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। इसके अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दिए जाने वाले विधिक सलाह एवं सहायता के बारे में जानकारी देते हुए कहां की भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 मैं सभी के लिए न्याय सुनिश्चित किया गया है और गरीबों तथा समाज के कमजोर वर्गों के लिए निशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था की गई है ताकि सबको न्याय मिल सके संविधान के अनुच्छेद 14 और 22 के तहत राज्य का यह उत्तरदायित्व है कि वहां सबके लिए समान अवसर सुनिश्चित करें। समानता के आधार पर समाज के कमजोर वर्गों को सक्षम विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए वर्ष 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम पारित किया गया इसी के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा का गठन किया गया है जो कानूनी सहायता कार्यक्रम लागू करने और उसका मूल्यांकन एवं उसके तहत निगरानी का कार्य कर लोगों को कानूनी सहायता एवं सलाह उपलब्ध कराती है इसी प्रकार प्रत्येक राज्य में एक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जिसके अंतर्गत उसे राज्य के हर जिला में तथा तालुका स्तर पर समिति का गठन किया गया है इसका कार्य नालसा की नीतियों और निर्देशों को कार्य का रूप देना और लोगों को निशुल्क कानूनी सेवा प्रदान करना आना होता है

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button