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छत्तीसगढ़ बीज भंडार के मालिक, 65 वर्षीय विजय चंद्राकर की डैम में डूबने से दुखद मृत्यु हो गई।

रिपोर्टर कुंज कुमार रात्रे महासमुंद जिले के कोडार डैम से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने पूरे शहर को शोक में डुबो दिया। शहर के मशहूर छत्तीसगढ़ बीज भंडार के मालिक, 65 वर्षीय विजय चंद्राकर की डैम में डूबने से दुखद मृत्यु हो गई। उनकी स्कूटी, जो डैम के किनारे खड़ी थी, इस त्रासदी की पहली गवाह बनी। इस घटना ने न केवल उनके परिवार, बल्कि स्थानीय व्यापारी समुदाय और किसानों के बीच भी शोक की लहर दौड़ा दी है।स्कूटी ने खोली दर्दनाक सच्चाईगुरुवार की दोपहर कोडार गांव के पास डैम के किनारे कुछ स्थानीय लोगों की नजर एक स्कूटी पर पड़ी, जो काफी देर से वीरान पड़ी थी। आसपास कोई व्यक्ति नजर नहीं आया, जिससे ग्रामीणों को संदेह हुआ। नजदीक जाकर देखने पर पता चला कि यह स्कूटी विजय चंद्राकर की थी, जो महासमुंद की पुरानी सिविल लाइन में रहते थे और अपने बीज व्यापार के लिए जाने जाते थे। ग्रामीणों ने तुरंत तुमगांव थाना पुलिस को सूचना दी।

पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की सहायता से डैम में तलाशी अभियान शुरू किया। कुछ ही देर में वह दृश्य सामने आया, जिसने सभी को झकझोर दिया—विजय चंद्राकर का शव डैम के पानी में तैरता हुआ मिला। इस खबर ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी और उनके घर पर कोहराम मच गया।एक सम्मानित व्यापारी का असामयिक अंत

विजय चंद्राकर न केवल एक सफल व्यवसायी थे, बल्कि एक दयालु और समाजसेवी व्यक्ति के रूप में भी उनकी ख्याति थी। उनका छत्तीसगढ़ बीज भंडार क्षेत्र के किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय था। उनकी अचानक मृत्यु ने स्थानीय व्यापारी समुदाय और किसानों को गहरे सदमे में डाल दिया। परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है, और लोग इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहे कि सुबह तक सामान्य रूप से घर से निकला व्यक्ति अब कभी वापस नहीं आएगा।

पुलिस जांच और सवालों का सिलसिला

तुमगांव पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया है। प्रारंभिक जांच में डूबने से मृत्यु की पुष्टि हुई है, लेकिन पुलिस हर संभावित पहलू की जांच कर रही है। क्या यह एक दुर्घटना थी, या इसके पीछे कोई और कारण था? इस सवाल का जवाब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।

लोगों के बीच कई सवाल उठ रहे हैं—विजय चंद्राकर उस दिन अकेले डैम क्यों गए? उनकी स्कूटी किनारे क्यों खड़ी थी? क्या यह एक सामान्य हादसा था, या इसके पीछे कोई मानसिक तनाव या अन्य परिस्थितियां थीं? ये सवाल पूरे समुदाय को परेशान कर रहे हैं।

ग्रामीणों की सजगता बनी मिसाल

इस घटना में कोडार गांव के ग्रामीणों की तत्परता और संवेदनशीलता की प्रशंसा हो रही है। अगर उन्होंने स्कूटी को नजरअंदाज कर दिया होता, तो शायद यह मामला देर से सामने आता। उनकी सजगता ने पुलिस को तुरंत कार्रवाई करने में मदद की। तुमगांव पुलिस ने भी ग्रामीणों के सहयोग की सराहना की है।कोडार डैम: हादसों का गवाह

कोडार डैम में इस तरह की यह पहली घटना नहीं है। पहले भी यहां कई लोग डूबने से अपनी जान गंवा चुके हैं। डैम की गहराई और किनारों पर सुरक्षा व्यवस्था की कमी बार-बार हादसों का कारण बन रही है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि डैम के आसपास सुरक्षा उपायों को बढ़ाया जाए और नियमित गश्त की व्यवस्था की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।

शोक में डूबा समुदाय

विजय चंद्राकर की मृत्यु की खबर फैलते ही स्थानीय व्यापारी समुदाय और उनके परिचित कोडार गांव पहुंचने लगे। उनके घर पर शोक जताने वालों का तांता लगा हुआ है। किसानों और व्यापारियों के बीच उनकी सादगी और मददगार स्वभाव की चर्चा हो रही है। यह हादसा न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे महासमुंद जिले के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

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