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घर से  बहुत दूर चला गया किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये डॉ राकेश परदल, अलविदा 

कुंज कुमार रात्रे वरिष्ठता पत्रकार महासमुंद डॉ. राकेश परदल के महाप्रयाण के वक्त निदा फ़ाज़ली का यह मशहूर कहन याद आ रहा है। डॉ. परदल तो खास बच्चों के ही डॉ थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी न जाने कितने ही बच्चों का इलाज कर रोते से हंसाया होगा। खास महासमुंद क्षेत्र वासियों के लिए डॉ. परदल साहब देवदूत ही थे। भगवान की तरह थे, उनके लिए जिनके बच्चों को उन्होंने नई जिंदगी दी, अनमोल मुस्कान दी। हर आम-ओ-खास से अपना-सा व्यवहार उनके शानदार व्यक्तित्व को और महान बनाता था। महासमुंद की माटी ने आज अपना एक सच्चा सपूत खो दिया, मानवता का सच्चा सेवक दिया। महासमुंद,सें

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ परदल जिला चिकित्सालय महासमुंद में सिविल सर्जन और जिला मुख्यचिकित्सा अधिकारी के पदों को सुशोभित किया।

डॉ परदल  अंचल के बच्चों उनके माता-पिता व पालकों के लिए भगवान धन्वंतरि या हकीम लुकमान से कम नहीं थे। डॉ परदल सर ने न जाने कितने बच्चों की मुस्कान लौटाई है वहीं पर कितने दंपत्तियों को संतान विहिनता से बचाया है।

त्रिमूर्ति कालोनी निवासी निजी अस्पताल में निधन हो गया उनकी अंतिम यात्रा निकाली 27मई 11बजे त्रिमूर्ति कालोनी से मुक्तिधाम महासमुंद के लिए निकलेगी।वें डॉ अलका परदल पति व डॉ नमन परदल, केतन परदल के पिता थें।

डॉ परदल सर,अलविदा.अलविदा डॉ परदल सर 🙏💐

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