जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब कुष्मांडा देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी : भाजपा किसान नेता अशवंत तुषार साहू
पत्रकार कुंजूरात्रे महासमुंद महासमुंद : जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक – 2 में मां भगवती के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा का आशीर्वाद लेने ग्राम सिरपुर,खमतराई,मरोद ,अमलोर, केरियाडीह,र्कराडीह,चुहरी,पासिद,रायकेरा,सुकुलबाय,अचानकपुर, बंदोरा,खिरसाली मे पूजा अर्चना कर जगत जननी से समस्त क्षेत्र वासियों के सुख-सौभाग्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना किया, क्षेत्र के लोगों से भेंट कर कुशल क्षेम जाना,
भाजपा किसान नेता अशवंत तुषार साहू अपने उद्बोधन में कहा शास्त्र के अनुसार अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है। इस देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृति में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी को कुष्मांडा। इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है।