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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रभारी प्रधान पाठक भुनेश्वर साहू ने बच्चों से कहा कि 

 संपादक कुंज कुमार रात्रे महासमुंद शासकीय उच्च प्राथमिक शाला एवं प्राथमिक शाला उमरदा के संयुक्त तत्वाधान में बसंत पंचमी पर्व का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित एवं माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रभारी प्रधान पाठक भुनेश्वर साहू ने बच्चों से कहा कि

बसंत पंचमी एक महत्वपूर्ण हिन्दुओं का त्यौहार मन जाता है, जो हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इसे देवी सरस्वती की पूजा के लिए भी मनाया जाता है। शिक्षक योगेश कुमार मधुकर ने बसंत पंचमी का महत्व बताते हुए बच्चों से कहा कि बसंत पंचमी बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। बसंत ऋतु एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जब प्रकृति अपने नए रूप में आती है अर्थात पतझड़ के पश्चात् जब पेड़ पौधों में नए कोपलाएं अर्थात नए पत्तियों का निकलना प्रारंभ होता है बसंत पंचमी को मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मां सरस्वती ज्ञान, कला और संगीत की देवी हैं। जो हमारी शिक्षा और संस्कृति के महत्व को भी दर्शाता है। इस दिन विद्यार्थी देवी सरस्वती की पूजा करते हैं और ज्ञान प्राप्त करने की कामना करते हैं प्रथमिक शाला के प्रधान पाठक श्रीमती साक्षी साहू ने कहा कि इस दिन स्नान-दान और पूजा-अर्चना का भी बड़ा महत्व है। बसंत पंचमी पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में फूल, अक्षत, धूप, दीप, और प्रसाद शामिल हैं। बसंत पंचमी के दिन विद्या और संगीत का महत्व भी है। इस दिन विद्यार्थी विद्या की पूजा करते हैं और संगीत का आनंद लेते हैं।शिक्षक चंद्रशेखर चंद्राकर ने बच्चों से कहा कि बसंत पंचमी पर हमें चहुओर कोयल की मधुर आवाज सुनाई देती है यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और मां सरस्वती की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन विद्यार्थी देवी सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं और ज्ञान प्राप्त करने की कामना करते हैं।उक्त कार्यक्रम के अवसर पर शिक्षक पंकज साहू, पुरुषोत्तम ध्रुव, पोखन चंद्राकर एवं हाई स्कूल की व्याख्याता शिक्षिका सोनी चंद्राकर सहित समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।

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