छत्तीसगढ़

शासकीय उच्च प्राथमिक शाला चिगरौद में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया।

 कुंजूरात्रमहासमुंद  शासकीय उच्च प्राथमिक शाला चिगरौद में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें समस्त बच्चों को हिंदी दिवस की महत्ता, आवश्यकता एवं उद्देश्य के बारे में शिक्षकों ने विस्तार से बताया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षक योगेश कुमार मधुकर ने कहा कि भारत में हिंदी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है हिंदी भाषा का जन्म भारत में हुआ था हिंदी को भारत के राजभाषा के रूप में 14 सितंबर सन् 1949 को स्वीकार किया गया इसके बाद संविधान में राजभाषा के संबंध में धारा 343 से 351 तक की व्यवस्था की गई इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिए 14 सितंबर 1953 से राजभाषा प्रचार समिति द्वारा प्रतिवर्ष इस खास दिन को मनाया जाने लगा। उन्होंने कहा कि सामान्य बोलचाल की भाषा में हमारे देश के लोग एक अन्य भाषा का प्रयोग करते हैं जिसका बहुतायत प्रचलन हर क्षेत्र में है जिसमें अंग्रेजी भाषा प्रमुख रूप से है। अंग्रेजी भाषा के शब्दों का या अंग्रेजी का उपयोग सभी शैक्षणिक संस्थानो, कार्यालयों, बैंक एवं न्यायालयों में अधिकांशिता होता है जिससे धीरे-धीरे हिंदी के अस्तित्व को खतरा पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक सभी लोग हिंदी का उपयोग पूर्ण रूप से नहीं करेंगे तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता इसलिए जरूरी है कि स्कूल में भी बच्चे आपस में एक दूसरे के साथ हिंदी में बात करें जिस तरह इस एक दिन को सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है इसके अतिरिक्त जो वर्ष पर हिंदी में अच्छे विकास कार्य करता है और अपने कार्य में हिंदी का अच्छी तरह से उपयोग करता है उसे पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है।

उद्बोधन की इसी कड़ी में शिक्षक डीगेश कुमार ध्रुव ने कहा कि हिन्दी सप्ताह 14 सितंबर से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है इस पूरे सप्ताह अलग-अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है यह आयोजन विद्यालय और कार्यालय दोनों में किया जाता है इसका मूल उद्देश्य हिंदी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिंदी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है इन सात दिनों में लोगों को निबंध लेखन आदि के द्वारा हिंदी भाषा के विकास और उसके उपयोग के लाभ और ना उपयोग करने पर हानि के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी दिवस के अवसर पर राजभाषा गौरव पुरस्कार किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जा सकता है जिसमें दस हजार से लेकर दो लाख रुपए के तेरह पुरस्कार होते हैं साथ ही साथ पुरस्कार प्राप्त सभी लोगों को स्मृति चिन्ह भी दिया जाता है इसका मूल उद्देश्य तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में हिंदी भाषा को आगे बढ़ाना है।

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