बलौदा बाजार निर्दोष पदाधिकारी समाजजनों की गिताअन्योल मीडिया में समाज की प्रति खराब करन के सबंध प्रेस कॉन्फ्रें
कुंजूरात्रेमहासमुंद 10 जून 2024 को बलौदा बाजार में सतनामी समाज के देवी के दौरान कुल असामाजिक तथा कर्कट कलेक्ट्रेट स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कि गोह आगजनी की घटना घोर निंदनीय एवं सतनामी समाज के साथ ही समूचे मानव समाज के लिए शहै। जिसपर प्रशासन दवारा बेरगाम असामाजिक तत्वों के ऊपर की जा रही कार्यवाही का समाज समर्थन करती है परन्तु इस विशुद्ध रूप से सामाजिक धरना-प्रदर्शन में शामिल निर्दोष लोग व जिला ब्लाक के पदाधिकारी जो तोड़ फोड़ व आगजानी की घटना में शामिल नहीं है उनकी जोर जबरदस्ती की जा रही गिरफ्तारी व कुछ वेब चैनल व सोशल मिडिया के द्वारा उत्पाती, उपदवी सतनामी जआंदोलन के नाम से खबर चलाकर छवि खराब किया जा रहा है जिससे समाज में भय का वातावरण निर्मित हो रहा है। जिसे शीघ्र टीके जाने की मांग करते हैं।विदित हो कि 15 मई 2001 की रात्रि गिरौदपुरी धाम से लगे अमरगुपा के जैतखाम को आरी से काटकर तोडफोड किए जाने से समाज की भावना आहत हुई और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग किया गया। जिस पर पुलिस द्वारा बिहार से आए तीन मजदुरी की गिरफ्तारी के खुलासा किए जाने के बाद ही समूचे छत्तीसगढ़ के समाजजनों द्वारा उच्च स्तरीय जाच या सीबीआई जांच की सांग करते रहे। जिस संबंध में प्रदेश भर के समाजजनों द्वारा गिरौदपुरी में बैठक आयोजित कर निर्णय लिया गया। जिस निर्णय अनुसार प्रत्येक जिलों में 7 जून को जिलास्तर पर समाज जनों द्वारा शांतिपूर्ण रुप से जापन सौंप कर सीबीआई या उच्च स्तरीय जांच की मांग किया गया। तथा शासन स्तर पर कोई लिखित आदेश प्रसारित नहीं हुआ तब पूर्व के निर्णय अनुसार 10 जून को प्रदेशस्तरीय धरना प्रदर्शन एवं रेली के माध्यम से जापन सौंपने के लिए प्रत्येक जिला से हजारों की संख्या में बलौदा बाजार के दशहरा मैदान में उपस्थित हुए। जिसमें किसी एक संगठनसमिति के द्वारा नेतृत्व ना होकर संयुक्त रूप से केवल सतनामी समाज के बैनर तले इक्डा हुए थे। प्रदेश भर के सभाज के लोगों द्वारा लोगों द्वारा भोजन व टेट के लिए आर्थिक रूप से चंदा दिया गया। सभा में समाज के आम लोगों के साथ ही सभी सामाजिक संगठन व सभी राजनीतिक पार्टी से संबंध रखने वाले समाज के लोग शामिल हुए। यह आआंदोलन को प्रदेश व जिला, ब्लॉक के किसी भी मुखिया ने नेतृत्व नहीं किया है बल्कि स्वस्फूर्त होकर एक दूसरे को शांतिपूर्ण आंदोलन करने आहावान किया। परना-प्रदर्शन स्थल में बीस तीस हजार से ज्यादा सतनामी समाज के लोग इकट्ठे हुए और मंच पर भी गांव से लेकर प्रदेश स्तर के पदाधिकारी बारी बारी से आते-जाते रहे। इसके साथ ही साधु संतो ने बैठकर शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन किया। इस बीच कुछ लोगों के जोशिले आषण पर भी टोका टाकी करके रोका गया। क्योंकि छत्तीसगढ़ में संविधान के साथ ही सत्य अहिंसा प्रेम को मानने वालों में हमारा समाज सबसे ज्यादा यकीन रखते हैं।इसके बाद रैली के दौरान कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा युवाओं को उकसाकर तोड़फोड़ आगजनी जैसे गंभीर कार्य को अंजाम जाने लगा जिसे धरना-प्रदर्शन व रैली में शामिल निर्दोष लोग समझ ही नहीं पाए की ये घटना कैसे हो गई जबकि ज्ञापन देने वाले व समाज पमुख काफी पीछे ही रह गये।उक्त घटना में किसी बाहरी लोगों की बड़ी साजिश का अंदेशा है। जो सतनामी समाज को मानव समाज के बीच बदनाम करने नकारात्मक छवि बनाने के साथ शासन-प्रशासन की छवि खराब करते व समाज के युवाओं के का कार्य किया गया है। यदि इस पटना के पीछे कोई राजनीतिक या सांप्रदायिक षड़यंत्र है तो इसकी बगैर राजनीति किए विशेष जांच कर पर्दाफाश किया जाना चाहिए। क्योंकि इस घटना में सामाजिक भवन में स्थित जैतखाम व वहां खड़ी समाज के गाड़ी को भी नुक्सान पहुंचाया गया है। गृहमंत्री जी व शासन में बैठे जिम्मेदार लोगों ने भी माना है कि ऐसी वारदात सतनामी समाज के लोग नहीं कर सकते। बल्कि किसी बाहरी लोगों की संलिप्तता की बात कही है।
फिर भी जो लोग शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन व रैली में केवल उपस्थित रहे उनकी गिरफ्तारी किया जाना प्रशासन का अन्याय पूर्ण रवैया है। आस्था से संबंधित सामाजिक आंदोलन के लिए संवैधानिक तरीके से अपील करना, मंच पर बैठना वा पंडाल पर बैठकर शांति पूर्ण जय बोलाना नारा लगाना कार्यक्रम में शामिल होने को आधार मानकर आरोपी बनाया जाना संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार का उल्लधन है।
इस आंदोलन में भीड़ के हिसाब से सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त नहीं किया जाना भी प्रशासन की एक बड़ी चूक है। यदि पर्याप्त संख्या में पुलिस बल होती तो उपद्रवियों के साथ सख्ती से निपटा जा सकता था और इतनी बड़ी घटना को होने से रोका जा सकता था। बलौदा बाजार काड में 7 जून को महासमुन्द जिला में आयोजित आक्रोश रैली में शामिल समाज लोगों की ज्ञापन सुची के आधार पर कुछ लोगों को परेशान करने की शिकायत मिल रही है। जिसको भी संज्ञान में लेकर तत्काल बंद करने की मांग करते है।अतः जो लोग तोड़फोड़ या आगजनी में शामिल नहीं है परन्तु धरना-प्रदर्शन रैली में शामिल रहे उनकी निशर्त रिहाईकर जिला तथा ब्लॉक के सामाजिक पदाधिकारियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाये जाने के साथ तोडफोड व अगजनी के लिए जिम्मेदार वास्तविक षड्यंत्रकारी लोगों की गिरफ्तार करने की मांग मीडिया के माध्यम से करते हैं।अवदीयसतनामी समाज जिला महासमुन्द सतनामी समाज महिला प्रकोष्ठ प्रेस वार्ता के दौरान नीतू रानी बांधे महासमुंद , गुंजन, अमृता डहरिया झारा पार्वती महासमुंद, हितेश आवडे संतोषी गंधर्व रुखमणि निराला झारा , कांति मनाडे, मालती मनाडे, धन्नी मनाडे, द्रोपदी लहरे बोहारडीह आदि समाज की प्रमुख महिला उपस्थित थी।