जिला चिकित्सालय में पदस्थ जिम्मेदार चिकित्सक बने महानदी हॉस्पिटल के स्टार प्रचारक
महानदी हॉस्पिटल में हैबड़े मगरमच्छों का बसेरा
।महासमुंद / जिले में संचालित रायपुर रोड स्थित महानदी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल जिनकी बात कही जाए तो बेखौफ, निर्भीक, निडर होते हुए. शासन प्रशासन की आँखों में धूल झोंकते हुए खुलेआम नर्सिंग होम एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही है.
महासमुंद जिला चिकित्सालय में पदस्थ नियमित कर्मचारीगणों में डॉ गजेंद्र देवांगन एमडी मेडिसिन वह हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ प्रतिमा कोसेवारा एम एस स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ नरेंद्र नरसिंग एमएस जनरल सर्जन, डॉ मुकेश नाग एमडी एनेस्थीसिया एवं डॉक्टर आकाश डोंगरे सहित और भी अन्य कर्मचारियों की मिली भगत से जिला चिकित्सालय के मरीजों को महानदी हॉस्पिटल में रेफर कर दलालीखोरी का कार्य सुचारू रूप से संचालित किया जा रहा है. यह सारे डॉक्टर मेडिकल कॉलेज जिला चिकित्सालय में नियमित कर्मचारी के रूप में पदस्थ है फिर ये खुलेआम अपने नाम का प्रचार प्रसार करते हुए महानदी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल को बिना किसी भय के बेखौफ तरीके से चला रहे हैं. जबकि सरकार ने आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने तरह-तरह से कयास लगा रहे हैं. साथ ही केवल उन्ही निजी अस्पताल संचालकों को लाइसेंस जारी किया गया है जो कि, चिकित्सकीय क्षेत्र में उसे एक्ट का पालन कर रहे हो. बता दे नर्सिंग होम एक्ट 5 वर्ष पूर्वलागू किया गया है.इस एक्ट में अवैध रूप से संचालित क्लिनिको और निजी अस्पतालों पर कार्यवाही का प्रावधान है. इसके बाद भी जिले में बड़ी संख्या में अवैध रूप से क्लिनिक पैथोलॉजी व नर्सिंग होम संचालित किया जा रहे हैं., नर्सिंग होम एक्ट अंतर्गत निर्धारित मापदंडों पर खरा उतरने के बाद ही निजी अस्पताल संचालकों को लाइसेंस जारी किया जाता है. किंतु जिले में आज सैकड़ो से अत्यधिक संस्थान बिना इसके संचालित है. इनमें कइयों ने प्रक्रिया भी बढाई है पर अभी तक सब यथावत है.
। जिले में स्वास्थ्य विभाग मरीजों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है. जबकि विगत 5 वर्ष पूर्व शासन ने नर्सिंग होम एक्ट लागू किया है जिसमें ऐसे डॉक्टर ही क्लीनिक या निजी अस्पताल का संचालन कर सकेंगे जो शासन के गाइडलाइन का पालन करते हो. एक्ट के मापदंडों के अनुसार जिले में मात्र एमबीबीएस डॉक्टर ही नियम व शर्तों के अनुसार निजी अस्पताल या क्लीनिक का संचालन कर सकते हैं. बावजूद इसके एक और दो साल का लैब टेक्निशियन का डिम्लोमा करने वाले भी पैथोलैब चला रहे हैं. वहीं कई लोग पैरामेडिकल कोर्स कर ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से क्लीनिकों का संचालन भी कर रहे हैं जबकि इसके लिए वे अधिकृत नहीं है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग द्वारा अवैध रूप से संचालित अस्पताल संचालकों पर कार्रवाई नहीं की जाती। इस एक्ट के तहत सैकड़ों आवदेकों ने आवेदन विभाग को प्रस्तुत किया था। इनमें गिनती के नर्सिंग होम को मान्यता दी गई है, जबकि आंकड़ों के अनुसार अभी भी कई ऐसे क्लीनिक बिना मान्यता के ही संचालित हो रहे है । बाजूवद इसके स्वास्थ्य विभाग द्वारा अवैध रूप से संचालित निजी अस्पताल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है।
अस्पताल संचालन करने हेतु नियम इस प्रकार हैं.
1. प्राइवेट हॉस्पिटल के लिए कम से कम 2500 वर्ग गज का जगह होना चाहिए जिसमें हॉस्पिटल बनाना है।
2. अस्पताल संचालक को इस बात का ध्यान रखना है कि वाहन पार्किंग की व्यवस्था हो, जितने भी मरीज है उतने परिजन के वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
3. अस्पताल में यदि 10 बेड है ऐसे में अस्पताल में कम से कम 15 वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
4. जहाँ पर अस्पताल बना है वहाँ पर 12 मीटर या फिर उससे अधिक चौड़ाई वाली सड़क होना जरूरी है।
5. इसके साथ ही फायर, व पॉल्युशन सम्बंधित विभाग से NOC लेना होगा।
6. दवाओं की दुकान के साथ अस्पताल में मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने का व्यवस्था होना चाहिए।
7. अस्पताल निर्माण की प्रक्रिया बिल्डिंग प्लान के तहत करना चाहिए।।8. MIC के नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है।
यह तो ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है. आगे बने रहिए हमारे साथ और भी बड़े-बड़े खुलासे होने वाले हैं.