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महासमुंद लोक सभा सांसद सहित चारों विधायकों को नहीं दिख रही अस्पताल की अव्यवस्था

जिला अस्पताल की बदहाली दूर करने सांसद, विधायकों का प्रयास शून्य : पंकज

रिपोर्टर कुंज कुमार रात्रे महासमुंद। प्रदेश की साय सरकार भले ही सुशासन की गुणगाती रही हो, लेकिन राज्य अब नाकारात्मक मामलों में बेमिसाल बनता जा रहा है। कभी अपनी कला और संस्कृति आैर 36 गढ़ों के कारण देश दुनिया में जाने जाना वाला छत्तीसगढ़ अब बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की वजह से जाना जा रहा है। इसका एक ताजा उदाहरण है महासमुंद का मेडिकल काॅलेज सह जिला अस्पताल। जो केवल मरीजों के लिए एक रेफर सेंटर बनकर रह गया है। अस्पताल को मेडिकल काॅलेज के लिए अधिग्रहण 2021 में किया गया। लेकिन, सुविधाएं शून्य हैं। इस अस्पताल में आईसीयू की कमी, इंस्फ्रास्ट्रक्चर की कमी, स्टाफ की कमी व्याप्त है। उक्त बातें पूर्व पार्षद व सामाजिक कार्यकर्ता पंकज साहू ने जिला अस्पताल सह मेडिकल काॅलेज में स्टाफ की कमी, अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं तथा अस्पताल का केवल रेफर सेंटर बनकर रह जाने जैसे स्थितियों को देखते हुए कही।

श्री साहू ने कहा कि यदि महासमुंद मेडिकल काॅलेज सह जिला अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर सरकार की नजर नहीं पड़ रही। तो इन समस्याओं को सरकार के ध्यान में लाना समस्याओं का समाधान करना चुने हुए जनप्रतिनिधियों का काम होता है। जनता जिन्हें अपनी आवाज बनाकर विधान सभा, लोक सभा तक भेजे हैं। आज वे ही अस्पताल की दयनीय स्थिति पर आँख मूंदे बैठे हैं। यह महासमुंद जिला वासियों की दुर्भाग्य है कि जिले में दो भाजपा तथा दो काँग्रेस के विधायक कुल 4 विधायक होने के बावजूद जिला अस्पताल की दुर्दशा सुधारने किसी ने प्रयास नहीं किया। स्थानीय सांसद ने तो आज तक जिला अस्पताल सह मेडिकल काॅलेज की ओर झाँक कर भी नहीं देखा। यही हाल महासमुंद जिले के प्रभारी मंत्री दयाल दास बघेल का भी है। वे महासमुंद आते हैं तो जिला अस्पताल सह मेडिकल काॅलेज की ओर झाँकते तक नहीं। केवल प्रशासनिक अधिकारियों की चाटूकारिता पूर्ण आवभगत का आनंद लेकर चले जाते हैं।

श्री साहू ने बताया कि क्षेत्रीय विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा, खल्लारी विधायक द्वारिकाधीश यादव, सरायपाली विधायक श्रीमती चातुरी नंद तथा बसना विधायक सम्पत अग्रवाल सहित सांसद श्रीमती रूपकुमारी चाैधरी इन सभी जनप्रतिनिधियों ने आज तक मेडिकल काॅलेज सह जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं को लेकर ना ही सरकार को पत्र लिखा आैर ना ही विधायक, सांसद निधि से अस्पताल के लिए कोई उपकरण खरीदा। जिले के चारों विधायक व सांसद जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं। यदि विधायक व सांसद अस्पताल की समस्याओं को लोकसभा व विधानसभा में उठाते तो आज जिला अस्पताल मेडिकल काॅलेज की स्थिति कुछ और होती।

श्री साहू ने बताया कि महासमुंद के मेडिकल कॉलेज में कर्मचारियों की भारी कमी है। जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। 616 स्वीकृत पदों में से केवल 41 पदों पर कर्मचारियों की भर्ती की गई है। 575 पद रिक्त हैं। स्टाफ नर्स के 176 स्वीकृत पदों में 175 पद रिक्त हैं। फार्मासिस्ट के 5 स्वीकृत पदों में पाँचों रिक्त हैं, सहायक अस्पताल अधीक्षक की नियुक्ति भी नहीं हो सकी। अनेक पद रिक्त हैं जिन्हें भरा जाना है। जिसमें प्रमुख :- डायटिशियन स्वीकृत 1 पद में रिक्त 1 पद, बायोकेमिस्ट स्वीकृत 1- रिक्त 1, फार्मासिस्ट स्वीकृत 5 – रिक्त 5, स्टाफ नर्स स्वीकृत 176 – रिक्त 175, असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट स्वीकृत 1- रिक्त 1, टेक्टिनकल असिस्टेंट स्वीकृत 4 रिक्त 4, सुपरवाईजर स्वीकृत 2 रिक्त 2, टेक्निशियन स्वीकृत 3 रिक्त 3, ईसीजी टेक्निशियन स्वीकृत 2 रिक्त 2, रेडियोग्राफर स्वीकृत पद 3 रिक्त 3, वार्ड ब्वाय स्वीकृत 205 रिक्त 203, लैब अटेंडेंट स्वीकृत 6 रिक्त 6, स्ट्रेचर बेयरर स्वीकृत 6 रिक्त 6, अटेंडेंट स्वीकृत 4 रिक्त 4 हैं। यही नहीं आैर भी ऐसे अनेक पदों की स्वीकृत हैं जो पूरी तरह से रिक्त हैं। इस कमी को दूर करने के लिए जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाएं स्ट्रेचर पर हैं।

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