छत्तीसगढ़

स्वच्छता दीदियों ने कचरे से कमा 8 लाख रुपए 

संपादक कुंज कुमार रात्रे महासमुंद। नगर पालिका में मिशन क्लीन सिटी के तहत कार्य कर रहीं पालिका की स्वच्छता दीदियों ने पिछले एक वर्ष के भीतर कबाड़ से जुगाड़ की कहावत को चरितार्थ करते हुए 8 लाख रुपए जुटा लिए। पालिका प्रबंधन ने स्वच्छता दीदियों के कबाड़ से जुगाड़ की कहानी बताई। प्रबंधन ने बताया कि पालिका द्वारा संचालित चार एसएलआरएम सेंटर में 117 स्वच्छता दीदी और सफाई मित्र कार्यरत हैं जो नगर को स्वच्छ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही कचरे से खाद बनाकर सदुपयोग कर रही है और कचरों से निलके कबाड़ को बेचकर पालिका को लाखो रुपए की आय भी अर्जित करा रही है। साल 2024 में जनवरी से दिसंबर तक सूखा कचरा, कबाड़ बेचकर स्वच्छता दीदियों ने 8 लाख की आय अर्जित की हैं। शहर में डोर टू डोर अभियान में सुबह से ही महिलाएं रिक्शा लेकर निकल पड़ती हैं और घर-घर जाकर कचरा संग्रहण करती हैं। शुरुआती दिनों में महिलाओं को इस काम में लोगों के जागरूक नहीं होने के कारण कुछ परेशानी जरूर हुई, पर अब लोग सहयोग कर रहे हैं। स्वसहायता समूह के सदस्य ने बताया कि उनके इस कार्य को लोगों का अच्छा समर्थन और सहयोग मिल रहा है। प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी (कार्य पालन अधिकारी) एसडी शर्मा का कहना है कि वर्तमान में समूह की महिलाएं इस कार्य में जुटी हैं। नगर पालिका द्वारा वर्तमान में प्रोत्साहन के रूप में इन महिलाओं को 7200 रुपए दिए जा रहे हैं। सफाई मित्र (सुपरवाइजर) रमा महानंद का मानना है कि उनके इस काम करने से नगर स्वच्छ हो रहा है और उन्हें खुशी मिल रही है। उन्होंने बताया कि पहले ज्यादा कचरा नहीं मिलता था पर लगातार लोगों के घरों में जाने से अधिकांश लोग कचरा देने लगे। फिर भी कुछ लोग ऐसे है, जो कचरा नहीं देते और कही भी फेंक देते हैं। उन्होंने बताया कि नगर पालिका ने उपभोक्ता शुल्क 30 से लेकर 50 रुपए मासिक शुल्क लगाया है, लेकिन इन महिलाओं द्वारा जब शुल्क लेने घरों में जाते है तो उन्हें शुल्क नहीं मिल पाता है। उनका कहना है कि घरों और दुकानों से मिलने वाली शुल्क से ही मेहनताना बनता है। इसलिए उन्होंने कहा कि नागरिक उन्हें इस काम में सहयोग देने अपील कीसूखे व गीले कचरे को करतीं हैं अलग महिलाएं सुबह से सूखे और गीले कचरे लेने निकल जाती हैं। इसके बाद उसे सेंटर में ले जाकर अलग करतीं हैं। जो कबाड़ होता है उसे अलग कर डंप कर लेती हैं और बाद में उसे बेच देती हैं। नागरिक इधर-उधर कचरा नहीं फेंक रहें है जिसके कारण अब शहर के कई ऐसे स्थान स्वच्छ नजर आ रहा है।

नागरिकों से शहर को स्वच्छ बनाने और शुल्क भुगतान की अपील

महिलाओं को मासिक शुल्क वसूलने में परेशानी आ रही है। इसके लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। सूखा कचरा बेचकर महिलाएं अलग से रुपए कमा रहीं हैं। नगर के लोगों से सहयोग की अपेक्षा है कि वे अपने घर का कचरा स्व सहायता समूह को दें और समय पर उन्हें पालिका द्वारा निर्धारित शुल्क का भुगतान भी

करें।

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