छत्तीसगढ़

बच्चों को डर और भय से मुक्त रख नवाचार, रचनात्मक, क्रियात्मक एवं बुनियादी शिक्षण से बौद्धिक विकास किया जा सकता है — योगेश मधुकर

कुंजूरात्रे महासमुंद  राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार पालक शिक्षक मेगा बैठक का आयोजन संकुल केंद्र लाफिंन खुर्द स्थित हाई स्कूल के सभागार कक्ष में नोडल अधिकारी एवम् मुख्य अतिथि भीमराव घोड़ेसवार के द्वारा मां सरस्वती के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।मुख्य अतिथि की आसंदी से भीमराव घोड़े सवार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूलमंत्र विद्यालयिन शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों को इस तरह पोषित करें कि वह एक परिकल्पित और समता मूलक समावेशी और बहुलतावादी समाज के निर्माण के लिए नवाचारी और प्रयोगात्मक शिक्षा की मूल भावना को प्रदर्शित करते हुए सृजनात्मक एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्राप्त करें।

             कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डाइट व्याख्याता किरण कन्नौज ने अपने जीवन की समस्त शैक्षिक गतिविधियों के बारे में अवगत कराते हुए अपनी मां को प्रथम शिक्षक आदर्श के रूप में मानते हैं हुए कहा कि मेरी मां मुझे पढ़ाई के प्रति हमेशा प्रेरित करते रही जिसके कारण आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं उन्होंने पेडागाजी शैक्षणिक पद्धति का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार एक त्रिभुज के शीर्ष कोण के अग्रभाग पर एक शिक्षक को तथा आधार के रूप में माता-पिता को तथा कर्ण पर स्कूली बच्चों को रखा जाता है जिससे बच्चों को एक व्यवस्थित शिक्षण प्रणाली तथा सामाजिक संरचना के बारे में अवगत कराया जाता है। उन्होंने बैठक में आए हुए समस्त पालकों से अपील करते हुए कहा कि अधिक से अधिक संख्या पर स्कूल स्तर पर जुड़कर अपने बच्चों की प्रगति के बारे में सदैव शिक्षकों से पूछताछ करें जिससे सामाजिक समन्वयता की भावना शिक्षक पालक एवं बच्चों के बीच हमेशा बनी रहे।

उद्बोधन की इसी कड़ी में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संकुल केंद्र प्राचार्य ने कहा कि आज वर्तमान परिपेक्ष में जो शिक्षा हमें प्रदान किया जा रहा है वह व्यक्ति के जीवन और समाज को बदल सकने में सार्थक सिद्ध हो तथा बच्चों में बौद्धिक शारीरिक मानसिक चेतना का विकास कर सके शिक्षा नीति के माध्यम से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस प्रकार का जो प्रयास स्कूलों में जा रहा है वह अत्यंत ही सराहनीय कार्य है।

उक्त कार्यक्रम के अवसर पर संकुल के समस्त शिक्षक एवम् शिक्षिकाओं से मेगा पालक शिक्षक बैठक पर आयोजित 12 बिंदुओं पर चर्चा का विषय रखा गया जिसमें शिक्षक योगेश कुमार मधुकर ने बैगलेस डे अर्थात बिना बस्ता रहित शिक्षण विधि पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस शिक्षण विधि का मुख्य उद्देश्य बच्चों में डर और भय से मुक्त रख बच्चों के बीच आपसी समन्वय स्थापित करना है साथ ही साथ बच्चों में रचनात्मक, क्रियात्मक, सांस्कृतिक, खेल, नवाचार, क्राफ्ट एवं बुनियादी शिक्षण विधियो जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर बच्चों में बौद्धिक एवं विकासात्मक भावनाओं का विकास हो सके।

उद्बोधन की इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग से आये टीपी ध्रुव ने बच्चों के स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न बीमारियों की जानकारी एवं बचाव संबंधित जानकारी शिक्षक एवं पालकों को दिया।

कार्यक्रम के अंत में मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान अतिथियों के द्वारा किया गया जिसमें कुमारी माधुरी साहू कक्षा नवमी में 98% तथा कुमारी नम्रता साहू कक्षा दसवीं में 80% रही साथ ही साथ शाला प्रांगण में सभी अतिथियों के सानिध्य में एक पेड़ मां के नाम थीम पर आधारित वृक्षारोपण भी किया गया।

कार्यक्रम का संचालन संकुल समन्वयक लक्ष्मी नाथ सकरिया एवं विनीता अंजलि दीवान के संयुक्त तत्वाधान में किया गया तथा आभार प्रदर्शन शिक्षा विद जीवन दास वैष्णव के द्वारा किया गया। उक्त अवसर पर लाफिंन खुर्द के पूर्व सरपंच सुंदरलाल साहू, चिंगरौद के पूर्व सरपंच सुखदेव मालेकर, संतराम पटेल शाला अध्यक्ष, शिक्षाविद परदेसीराम साहू, यादुराम, कुश कुमार लाफिंनकला से तथा संकुल के समस्त शिक्षक – शिक्षिकाएं, पालकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे

 

 

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