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शिक्षकों का दो दिवसीय यूथ एवं इको क्लब प्रशिक्षण का समापन हुआ।   

बच्चों को पौष्टिक आहार के महत्व व स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है - लीलाधर सिन्हा 

संपादक कुंज कुमार रात्रे महासमुंद राष्ट्रीय आविष्कार अभियान, यूथ एवं इको क्लब अंतर्गत उच्च प्राथमिक शालाओं के शिक्षकों का विकासखंड स्तरीय दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रशिक्षण के प्रथम दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ बीआरसी जागेश्वर सिन्हा के द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित कर किया गया। उन्होंने सभी प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय आविष्कार अभियान यूथ एवं इको क्लब के अंतर्गत यह दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित है जिसमें स्कूली बच्चों को स्कूल की विभिन्न गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए जिस प्रकार बाल कैबिनेट का गठन एवं स्वच्छता का गठन करते हैं ठीक उसी प्रकार स्कूल में पोषण वाटिका या बाल वाटिका का निर्माण भी किया जाना है। पोषण वाटिका उस वाटिका को कहा जाता है जो घर के आसपास स्थित हो और उसमें होने वाले वनस्पतियों सब्जियों के उत्पादन से घर की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके पोषण वाटिका का खाद्य पोषण एवं आजीविका सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान होता है प्रशिक्षण के दौरान प्रथम दिवस पर मास्टर ट्रेनर नरेश साहू एवं गुमान चंद्राकर ने सभी प्रशिक्षार्थियों को पर्यावरण पर चर्चा, पानी में प्रदूषण, समुद्र पर प्लास्टिक के दुष्परिणाम, प्लास्टिक का परिचय एवं उसके प्रकार तथा उनके दुष्परिणाम पर सामूहिक प्रश्नोत्तरी के माध्यम से अपना-अपना विचार बताने को कहा। इसी क्रम में मास्टर ट्रेनर सीमा जैन एवं ममता चंद्राकर ने फिल्म स्क्रीनिंग, जमीन मेला एवं छात्रों के भविष्य के लिए एक कदम तथा बागवानी के लिए जगह एवं मिट्टी की तैयारी संबंधी थीम पर शिक्षकों से चर्चा- परिचर्चा कर उनके विचार जाने।

प्रशिक्षण के द्वितीय दिवस मास्टर ट्रेनर भारती सोनी, धनेश्वरी सिन्हा एवं सोहन साहू के द्वारा विभिन्न मौसमी फसल, सब्जियां, फल-फूल एवं पेड़- पौधों के बारे में सभी प्रशिक्षार्थियों को चित्र-चार्ट के माध्यम से अपने स्कूल परिसर में अथवा अपने घर पर पोषण वाटिका से संबंधित गतिविधियों एवं ग्रुपप्रदर्शन के माध्यम से अपना विचार व्यक्त करने के लिए कहा। इसके लिए उन्होंने सभी प्रशिक्षार्थियों को 6 ग्रुपों में बांटकर उनको अलग-अलग विषय देकर अपना विचार रखने को कहा जिस पर ग्रुप क्रमांक 3 के शिक्षक सदस्य क्रमशः योगेश कुमार मधुकर, शत्रुघ्न ध्रुव, राजेंद्र प्रसाद साहू, उमेश्वरी पटेल, सुनीता ठाकुर, मनी चंद्राकर, किरण सिंह ठाकुर,रितेश्वरी सोनी एवं वेणु चंद्राकर के द्वारा चित्र-चार्ट के माध्यम से पोषण वाटिका की थीम “मार्च- अप्रैल में लगाए जाने वाले फल-फूल, सब्जियां एवं विभिन्न फसलों की जानकारी” के ऊपर अपने ग्रुप का प्रतिनिधित्व करते हुए शिक्षक योगेश मधुकर ने कहा कि पोषण वाटिका के माध्यम से हम स्कूल के समस्त छात्र-छात्राओं को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे वे अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं तथा पौधों की देखभाल करने से छात्रों को पौधों के महत्व और उनकी देखभाल के तरीकों के बारे में उन्हें जानकारी मिलती है साथ ही पोषण वाटिका पर्यावरण संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पौधों की देखभाल और उनके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। इसी क्रम में सभी प्रशिक्षार्थियों ने अपने विद्यालय के लिए तैयार पोषण आहार वाटिका की योजनाओं का अलग-अलग तरीकों से प्रस्तुतीकरण किया।

 

दो दिवसीय प्रशिक्षण के समापन दिवस पर उपस्थित विकासखंड शिक्षा अधिकारी लीलाधर सिन्हा ने प्रशिक्षण में उपस्थित समस्त शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ शासन एवं केंद्र शासन के आदेशानुसार प्रत्येक स्कूलों में पोषण वाटिका का निर्माण किया जाना आवश्यक है इसके लिए प्रत्येक स्कूलों को प्रतिवर्ष राशि प्रदान की जाती है जिसके माध्यम से अपने स्कूल के एक निश्चित क्षेत्र विशेष पर पोषण वाटिका अर्थात बागवानी का निर्माण कर सकते हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य छात्रों को पौष्टिक आहार के महत्व के बारे में शिक्षित करना और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

 

इसी क्रम में सभी मास्टर ट्रेनरों के द्वारा हमारे दैनिक जीवन में निरंतर उपयोग में लाए जाने वाले प्लास्टिक के लाभ-हानियों, उनके दुष्प्रभावों तथा पर्यावरण को उनसे बचाव के संबंध में विस्तार से बताया तथा अपने दैनिक जीवन में उपयोग में लाने वाले विभिन्न प्लास्टिक सामग्रियों के बजाय कागज से निर्मित थैलियों का प्रयोग करने के संबंध में सभी शिक्षकों को आह्वान किया तथा प्रशिक्षणहाल में चार्ट पेपर के माध्यम से कागज के थैलियों का निर्माण करना भी सिखाया।

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