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मिडिल स्कूल उमरदा में संत रविदास की जयंती एवं परीक्षा पे चर्चा 2025 का संयुक्त आयोजन संपन्न हुआ संत एक फलदार वृक्ष के समान होते हैं- योगेश मधुकर 

संत रविदास एक महान संत, कवि, और समाज सुधारक थे- भुनेश्वर साहू 

  •  संपादक कुंज कुमार रात्रे महासमुंद शासकीय उच्च प्राथमिक शाला उमरदा में संत रविदासजी की जयंती एवं परीक्षा पे चर्चा 2025 का संयुक आयोजन बड़े ही उत्साह के साथ देखा एवं मनाया गया।   यूट्यूब चैनल पर प्रातः 10:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक आयोजित परीक्षा पे चर्चा 2025 में एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने अपने अनुभव को चैनल के माध्यम से बच्चों से साझा करते हुए स्कूली बच्चों को आने वाली वार्षिक परीक्षा के संबंध में बच्चों को डर, भय-मुक्त शिक्षण व चिंता रहित शिक्षण प्रविधियों, गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जिसे समस्त छात्र-छात्राओं ने समझा व जाना। उक्त कार्यक्रम के पश्चात प्रभारी प्रधान पाठक भुवनेश्वर प्रसाद साहू ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि संत रविदास एक महान संत, कवि, और समाज सुधारक थे, जिन्होंने अपने जीवनकाल में समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनका जन्म 15 वीं शताब्दी में वाराणसी में हुआ था। संत रविदास का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था जो उस समय समाज में एक निम्न जाति मानी जाती थी। उनके पिता का नाम संतोख दास और माता का नाम करम देवी था उद्बोधन कि इसी कड़ी में शिक्षक योगेश कुमार मधुकर ने बच्चों से कहा कि संत एक फलदार वृक्ष के समान होते हैं जो दूसरों की भलाई के लिए हमेशा झुके हुए होते हैं संत हमेंशा दूसरों की सेवा में तत्पर रहते हुए समाज को एक नई दिशा एवं ज्ञान प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि संत रविदास को बचपन से ही कविता और संगीत का शौक था उन्होंने अपने जीवनकाल में कई कविताएँ और गीत लिखे जो आज भी पूरे देश में पढ़े और गाए जाते हैं। उनकी कविताओं में समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई गई है। उन्होंने अपनी कविताओं में मन चंगा तो कठौती में गंगा के सिद्धांत को भी प्रतिपादित किया था साथ ही उन्होंने हर व्यक्ति समान है और किसी को भी जाति, धर्म, या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किए जाने की बात समाज से कही थी। इसी क्रम में शिक्षक चंद्रशेखर चंद्राकर ने बच्चों से कहा कि संत रविदास ने अन्य संत जैसे कबीरदास, रहीम, तुलसीदास, गुरु घासीदास, गुरु नानक एवं अन्य संतों की तरह समाज को एक नई दिशा प्रदान की और सभी को सत्य के मार्ग पर चलने के लिए अभी प्रेरित किया आज भी उनकी तर्कसंगत प्रेरणाएं प्रासंगिक है। उनकी मृत्यु 15वीं शताब्दी में हुई थी उनकी मृत्यु के बाद उनकी कविताएँ और गीत पूरे देश में प्रसिद्ध हुए और उन्हें एक महान संत और कवि के रूप में सम्मानित किया गया।

उक्त कार्यक्रम में कक्षा आठवीं की छात्रा कुमारी विनीता साहू ने भी अपने विचार बच्चों से साझा किया इस अवसर पर समस्त छात्र-छात्राएं व शिक्षक गण प्रमुख रूप से शामिल थे।

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