अंतर्राज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम 1979 के तहत होनी चाहिए कार्रवाई
संपादक कुंज कुमार रात्रे महासमुंद। जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में इन दिनों भट्ठा दलालों द्वारा मजदूरों का बड़ी संख्या में अवैध पलायन कराया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के सह जिलाध्यक्ष संतानदास मानिकपुरी ने बताया कि महासमुंद जिले में इन दिनों भट्ठा दलालों द्वारा भोले-भाले ग्रामीणों को बहला फुसलाकर तथा रुपए का लालच देकर मजदूरी के लिए छत्तीसगढ़िया से बाहर उत्तरप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ले जाया जा रहा है। दलालों द्वारा मजदूरों को पहले ही रूपए देकर फँसाया जा रहा है, तथा रूपए देकर जबरदस्ती पलायन करने विवश किया जा रहा है। यदि कोई मजदूर ईंट भट्ठा जाने से मना करता है तो उनके साथ मारपीट तथा रूपए वसूली के नाम पर ओने -पाैने ब्याज जोड़कर प्रताड़ित किया जा रहा है।
मानिकपुरी ने कहा कि इस पलायन के चलते छत्तीसगढ़िया में होने वाले आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रभावित होंगे। साथ ही उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को भी प्रभावित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मजदूरों के इस पलायन पर गौर किया जाए, तो इसमें संलिप्त भट्ठा दलाल अपने आप को मजदूरों का हितेसी बता के डरा धमकाकर तथा लालच देकर इस कृत्य को अंजाम दे रहे हैं।
और लोगों को उत्तरप्रदेश और बिहार में संचालित होने वाले अवैध ईट भट्ठों में ले जाने के लिए प्रलोभन दे रहा है। इसके अलावा कुछ भट्ठा दलालों के पास मजदूरों को अन्य राज्य में ले जाने का लाइसेंस भी है, लेकिन वह लाइसेंस क्षमता से कहीं अधिक मात्रा में मजदूरों का अवैध पलायन कर रहे हैं। इन दलालों द्वारा 1979 अंतर-राज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम का खुला उल्लंघन किया जा रहा है।
* मजदूरों का अवैध पलायन डबल इंजन की सरकार की नाकामी
मानिकपुरी ने कहा कि चुनाव के दौरान जिस भारतीय जनता पार्टी ने डबल इंजन सरकार का सपना दिखाते हुए नवयुवकों को रोजगार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार, कृषकों के जीवन स्तर में सुधार की बातें कही थी वह आज निरर्थक और थोथी साबित होती नजर आ रही है। छत्तीसगढ़ की भोली भाली जनता का इस प्रकार अवैध रूप से पलायन कराया जाना तथा भट्ठा दलालों को खुद को भाजपा नेता बताना इस सरकार की नाकामी को दर्शा रहा है। मानिकपुरी ने शासन प्रशासन से अपील की है कि इन तथाकथित भाजपा नेताओं का चोला पहने भट्ठा दलालों के खिलाफ अंतर्राज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम, 1979 प्रवासी श्रमिक रोज़गार कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए। इस बात कि पड़ताल के लिये हमारे समय दर्शन कि टीम श्रम अधिकारी से इस मामले मे बात करने कि कोशिस कि तो उनके पास फोन उठाने का समय भी नहीं है. इससे ये साफ देखा जा सकता है। कि ये सरकार नाकामयाब साबित हो रही है। जो कि जानते है आगामी समय मे चुनाव होना है इस तरहा से मजदूर पलायन होना कही ना कही कुछ………..