छत्तीसगढ़

सावित्रीपुर स्कूल में शिक्षा दिवस के रूप में मनाई गई प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती

संपादक कुजकुमार रात्रे महासमुंद बसना सावित्रीपुर स्कूल में शिक्षा दिवस के रूप में मनाई गई प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती

बसना देश के महान स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर 11 नवंबर को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सावित्रीपुर में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया।

इसअवसर पर छात्रों ने मौलाना कलाम के जीवन से जुड़ी बातों के बारे में जाना एवं छात्रों ने शिक्षित भारत साक्षर भारत का संकल्प भी लिया।संस्था के प्राचार्य पी सिदार ने कहा कि, आजादी के बाद राष्ट्र निर्माण और देश के विकास में अच्छी शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है,, मौलाना आजाद यह अच्छी तरह से जानते थे।

ऐसे में उन्होंने देश में आधुनिक शिक्षा पद्धति लाने के लिए कई बड़े कदम उठाए। आज राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के दिन शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए बेहतरीन कार्यों को याद किया जाता है। व्याख्याता सिंह सर ने कहा कि, शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्थापना की थी । उनका मुख्य लक्ष्य प्राथमिक व बुनियादी शिक्षा को बढ़ावा देना था।

उनके इस कार्य के लिए भारत सरकार द्वारा 1992 में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया था। भारत की आजादी के बाद मौलाना आजाद ने यूजीसी की स्थापना की थी ।केंद्रीय शिक्षा मंत्री सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान बालिका शिक्षा ,14 साल के सभी बच्चों के लिए मुक्त और अनिवार्य शिक्षा पर जोर दिया ।मिडिल स्कूल हेड मास्टर एस एल पटेल ने बताया कि, मौलाना आजाद सच्चे स्वतंत्रता सेनानी,कवि, लेखक,भ एवं पत्रकार थे। उन्होंने धार्मिक एकता के साथ-साथ देश की एकता और अखंडता के लिए सदैव कार्य किया । प्राइमरी हेड मास्टर महेंद्र टांडी ने मौलाना आजाद के मार्ग पर चलने की अपील की,, तथा शिक्षा के विभिन्न पहलुओं के प्रति अपने विचार साझा किया ।संकुल समन्वयक पी एल चौधरी ने कहा कि, इस दिन का मकसद शिक्षा के महत्व और राष्ट्र मे शिक्षा के प्रति वचनबद्धता को लेकर जागरूकता पेश करना है । उन्होंने बताया कि, मौलाना आजाद के कार्यकाल में ही जामिया मिलिया इस्लामिया और आईआईटी खड़ग़पुर जैसे संस्थानों की स्थापना हुई । ई डी हेड बीडी साहू ने बताया कि मौलाना आजाद ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर दिया। उनका मानना था कि, स्कूल ऐसी प्रयोगशालाएं होती है जहां देश के भविष्य के नागरिक को तैयार किया जाता है। उन्होंने यूनिवर्सल प्राइमरी एजुकेशन,वोकेशनल ट्रेनिंग और तकनीकी शिक्षा की पुरजोर वकालत की । उनका मानना था कि, शिक्षा सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध होनी चाहिए और एक स्वतंत्र राष्ट्र के विकास के लिए शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। व्याख्याता सविता जलछत्रि ने बताया कि, मौलाना आजाद का योगदान स्वतंत्रता आंदोलन से कहीं आगे तक गया।शिक्षित ,धर्मनिरपेक्ष और एकीकृत भारत के लिए उनका दृष्टिकोण कई मायने में देश की प्रगति को आकार दे रहा है। इस मौके पर वरिष्ठ व्याख्याता निर्मल साहू ने छात्रों और शिक्षकों को साक्षर भारत बनाने की शपथ दिलाई।मंच का संचालन भारती सर एवं जलक्षत्रि सर द्वारा किया गया।

आइए हम सभी मिलकर देश के पहले शिक्षा मंत्री के जन्मदिन पर शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को याद कर नमन करते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button