लंकापति रावण ने की थी शिव तांडव स्रोत की रचना: शिवमहापुराण
साहू परिवार द्वारा एम के बाहरा मे यज्ञ पूर्णआहुति शोभायात्रा के साथ हुआ शिव महापुराण का विराम
संपादक कुजकुमार रात्रे महासमुंद बागबाहरा //ग्राम एमके बाहरा मे साहू परिवार द्वारा आयोजित शिव महापुराण के विराम दिवश मे पंडित अरुण तिवारी ने आखिर कैसे हुई शिव तांडव स्त्रोत की रचना के संदर्भ मे उपस्थित श्रोतागण को कथा का रस पान कराया उन्होंने बताया शिव स्तुति करने से बड़े लाभ भक्तो को मिलते है.भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके निमित्त कई पूजा-पाठ शास्त्रों में बताए गए हैं। लेकिन शिव तांडव स्त्रोत शिव पूजा से जुड़ी एक अद्भुत कथा है. शिवमहापुराण के अनुसार देवों के देव महादेव सभी के इष्ट हैं, चाहें वह देव हो या दानव हर किसी पर उनकी कृपा बरसती है। यहां तक कि लंका के राजा रावण जैसा अहंकारी भी शिव भक्तों की प्रथम सूची में गिना जाता था।
भोलेनाथ के सबसे लोकप्रिय स्तुति शिव तांडव स्त्रोत की रचना से जुड़ी पौराणिक कथा कि लंका पति रावण भगवान शिव की आराधना करता था और उन्हें अपना गुरु भी मानता था। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार रावण ने सोचा की क्यों न भोलेनाथ को कैलाश पर्वत सहित उठा कर अपने सोने की लंका में ले आया जाए। जब रावण अपने अहंकार से लिप्त कैलाश पर्वत की ओर बढ़ा तो उनको शिव जी के वाहन नंदी ने रोका और कहां की रावण आप कैलाश की सीमा को पार नहीं कर सकते क्योंकि प्रभु अपनी तपस्या में लीन हैं और उनकी तपस्या में आप विघ्न डालने का प्रयास न करें। इतने में रावण को क्रोध आया और उसने वह सीमा लांघ दी और अपने बल के प्रयोग से कैलाश पर्वत को जैसे ही उठाने चला भगवान शिव ने कैलाश को अपने पैर के एक अंगूठे से दबा दिया और रावण शरीर सहित उस कैलाश पर्वत के नीच दब गया। तब उसने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए स्तुति की उस स्तुति से शिव जी प्रसन्न हुए और रावण को मुक्त किया।रावण ने जो स्तुति कि वह शिव तांडव स्त्रोत के नाम से जानी गई। इस स्तुति का वर्णन वाल्मिकी रामायण में भी देखने को मिलता है। इस प्रकार शिव तांडव स्त्रोत की रचना रावण द्वारा हुये.शिव तांडव से भगवान महादेव की असीम कृपा प्राप्त होती है.
यदि किसी कार्य में बार-बार रुकावटें आ रही हैं और सफलता हाथ नहीं लग रही, तो यह स्त्रोत का नित्य पाठ करने से हर कार्य सफलता पूर्वक पूर्ण हो जाता है।मान्यता है कि जिन लोगों का आत्मबल कमजोर होता है, यदि वह शिव तांडव स्त्रोत का पाठ नित्य करते हैं तो उनको सकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है और उनका मनोबल मजबूत होता है।शिव महापुराण के अनुसार शिव तांडव स्त्रोत का नित्य नियम पूर्वक पाठ करने से जीवन का दुःख, चिंता, अनेक प्रकार का भय और ग्रह दोष से शीघ्र मुक्ति मिलती है और शिव कृपा बरसती है।
कथा पश्चात यज्ञ हवन कर आम भंडारा का आयोजन हुआ. शिवमहापुराण की शोभायात्रा निकाली गई जिसमे गांव के प्रायः सभी घरो के द्वार पर रंगोली से सजावट कर शोभायात्रा का देर रात तक स्वागत किया गया जिसमे जयप्रकाश साहू जिलाध्यक्ष सहकारी समिति कर्मचारी संघ महासमुंद, मनीष चंद्राकर प्रबंधक मामाभाचा, मनोज भारद्वाज खल्लारी,कामता प्रसाद चंद्राकर, प्रेमलाल साहू, उमेश साहू, खेमराज सिन्हा,ओमप्रकाश साहू समेत सैकड़ो की संख्या मे ग्रामीणजन उपस्थित रहे.