छत्तीसगढ़

राष्ट्रीय शिक्षा नीति बच्चों में समावेशी, नवाचारी, प्रयोगात्मक, सृजनात्मक, और गुणात्मक शिक्षा की मूल भावना को प्रदर्शित करते हैं – योगेश मधुकर

कुंजूरात्रे महासमुंद राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत शिक्षा सप्ताह समारोह के अंतिम समापन दिवस के सातवें दिन सामुदायिक सहभागिता एवम् जनभागीदारी दिवस में स्थानीय समुदाय, जनप्रतिनिधि, पालक, एसएमसी सदस्यों व शिक्षकों के द्वारा नेवता भोज का आयोजन शासकीय उच्च प्राथमिक शाला चिंगरौद में बच्चों को खीर-पुडी खिलाकर किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षक योगेश कुमार मधुकर ने कहा कि 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के चार साल आज 29 जुलाई को पूरे हो रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से विभिन्न अभियानों, योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से इस शिक्षा नीति को कार्यक्रम रूप में परिणत करने की दिशा में प्रयास छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूलमंत्र विद्यालयिन शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों को इस तरह पोषित करें कि वह एक परिकल्पित और समता मूलक समावेशी और बहुलतावादी समाज के निर्माण के लिए नवाचारी और प्रयोगात्मक शिक्षा की मूल भावना को प्रदर्शित करते हुए सृजनात्मक एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्राप्त करें।

उद्बोधन की इसी कड़ी में एसएमसी अध्यक्ष संतराम पटेल ने कहा कि आज वर्तमान परिपेक्ष में जो शिक्षा हमें प्रदान किया जा रहा है वह व्यक्ति के जीवन और समाज को बदल सकने में सार्थक सिद्ध हो तथा बच्चों में बौद्धिक शारीरिक मानसिक चेतना का विकास कर सके शिक्षा नीति के माध्यम से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस प्रकार का जो प्रयास किया स्कूलों में जा रहा है वह अत्यंत ही सराहनीय कार्य है।

उक्त कार्यक्रम के अवसर पर एसएमसी की मासिक बैठक का आयोजन स्कूल के विभिन्न मुद्दों पर किया गया जिसमें सभी सदस्यों के द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय पारित किया गया।

उपरोक्त कार्यक्रम में शिक्षाविद परदेसी राम साहू, संरक्षक सुखदेव मालेकर, ग्राम सचिव ज्योति डहरिया, शिक्षक पोखन चंद्राकर, डीगेश ध्रुव, पालकगणों में नीलकंठ यादव, कविता साहू, जमुना साहू, टीकम ध्रुव सहित समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button