डॉ अंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई- योगेश मधुकर
डॉ अंबेडकर ने अपना संपूर्ण जीवन समाज के दलित शोषितों और वंचितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया- संतराम पटेल
संपादक कुंज कुमार रात्रे महासमुंद भारतीय संविधान के निर्माता डॉ बाबासाहेब अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस का आयोजन शासकीय उच्च प्राथमिक शाला चिंगरौद में शाला विकास समिति के अध्यक्ष संतराम पटेल की उपस्थिति में मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के तेल चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया तत्पश्चात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अध्यक्ष संतराम पटेल ने कहा कि यह दिन भारतीय संविधान के निर्माता और समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि को चिह्नित करता है। महापरिनिर्वाण दिवस पर, हम डॉ. अंबेडकर के जीवन और उनके योगदान को याद करते हैं। उन्होंने अपने जीवन को समाज के दलितों, शोषितों और वंचितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था।उद्बोधन की इसी कड़ी में परदेसी राम साहू ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर की विरासत केवल उनकी उपलब्धियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके द्वारा प्रेरित आंदोलन और उनके विचारों की सतत प्रासंगिकता में भी निहित है। महापरिनिर्वाण दिवस पर हमें न केवल डॉ. अंबेडकर को याद करना चाहिए, बल्कि उनके द्वारा प्रचारित मूल्यों को भी अपनाना चाहिए। हमें जातिवाद, छुआछूत और सामाजिक असमानता के खिलाफ लड़ना चाहिए और एक समान और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए काम करना बाबासाहेब अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के बारे में शिक्षक योगेश कुमार मधुकर ने बच्चों से कहा कि डॉ बाबासाहेब अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में हुआ था। वह महार जाति से संबंधित थे, जिसे समाज में बहुत ही हीन भावना से देखा जाता था। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए जिनमें पहला भारतीय संविधान का निर्माण है डॉ अंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया साथ ही उन्होंने दलितों के अधिकारों की लड़ाई भी लड़ी तथा दलितों को शिक्षित करने और उनके अधिकारों के लिए लड़ने के लिए कई संगठनों की स्थापना की थी। उन्होंने बौद्ध धर्म की पुनर्स्थापना के लिए काम किया व बौद्ध धर्म को उन्होंने अपनाया और इसके प्रचार प्रसार के लिए काम किया था शिक्षक योगेश मधुकर ने कहा कि डॉ बाबासाहेब अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस प्रत्येक वर्ष 6 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन को उनकी पुण्यतिथि के रूप में भी मनाया जाता है उन्होंने उपस्थित सदस्यों, समस्त छात्र-छात्राओं के बीच 2 मिनट का मौन धारण करते हुए डॉक्टर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। उक्त अवसर पर प्रधान पाठक गणेश रामचंद्राकार वरिष्ठ शिक्षक पोखनलाल चंद्राकर एवं डीगेश ध्रुव कार्यक्रम में उपस्थित थे।