मिठाईयों दुकान के नाम से संचालित संचालक की दादागिरी सांथ कर रहा है टैक्स की भी चोरी
कुंजूरात्रे महासमुंद शहर में बेखौफ बिक रही अमानक मिठाईयों के सांथ पैकेट बंद खाद्य पदार्थ।
छप्पन भोग के नाम से संचालित संचालक की दादागिरी सांथ कर रहा है टैक्स की भी चोरी
विभागीय कार्यवाही ना होने पर दुकानदारों के हौसले बुलंद। खरीददार को बिल भी नहीं देते।
महासमुंद प्रायः देखा जा सकता है की शहर मेें नकली मिठाईयों की भरमार हो गयी है। मिठाई दुकानदार चन्द रुपय कमाने के लालच मेें ग्राहकों को मौत के मुहाने पहुंचा रहे हैं । शहर में इन दिनों दर्जन भर से अधिक मिठाई निर्माण कर बेंचने वाले मिठाई दुकानदारों द्वारा अपने-अपने खाद्य पदार्थो का गुणगान किया जाता है। इन संचालकों के पास नहीं तो अपना कोई दुग्ध उत्पादन के लिये संसाधन है और नहीं दुग्ध कलेक्शन सेंटर फिर भी इतनी अधिक मात्रा में दुग्ध इनके पास कहां से आता है।
नाम ना छापने के शर्त पर एक उपभोक्ता ने शिकायत की, की महासमुंद बस स्टैंड के गेट नंबर 1 पर छप्पन भोग नाम से एक मिठाई दुकान संचालित होता है जिसमें बिकने वाली अधिकांश खाद्य पदार्थो में निर्वाण एवं अवसान की तिथि ही नहीं लिखी होती यानि बिना एक्सपायरी डेट लिखे मिठाइयाँ और पैकेट बंद खाद्य समग्रीयों की बिक्री कर रहा है।
बुलेट न्यूज़ एवं सच तक इंडिया न्यूज़ के द्वारा दुकान में जा कर निरीक्षण करने पर पाया गया की सचमुच बेंचने के लिए सजाकर रखी गईं मिठाईयों के ऊपर निर्माण की तिथि ही नहीं थीं।
दुकान संचालन करने वाले संचालक से जब इसका कारण पूछा गया तो वह भड़क गया और पूछने वाले पत्रकारों को ही देख लेने की धमकी दे कर कहने लगा की मेरी मर्ज़ी निर्माण तारीख लिखूं या ना लिखूं तुम्हे क्या ।
मेरी राजनीतिज्ञ पंहुच है और मेरा उठना बैठना भी विभागीय अधिकारीयों के सांथ है तुम यहाँ से चले जाओ नहीं तो ठीक नहीं होगा ।
यह सुन हम भी सन्न रह गया।
इससे यह पता चलता है की दूकानदार अपनी पहुँच में मगरूर हो उपभोक्ताओं को अमानक खाद्य पदार्थ ही परोस रहा है।
मिठाई के रूप मे जहर बेंच रहे हैं दुकानदार
शहर के दुकानदारों के द्वारा मिठाई के रूप में जहर बेचा जा रहा है। नकली दुग्ध एवं मावा से बनाई गयी मिठाईयों को खाने से लोगों को पिलिया एवं आंत की कैंसर जैसी बिमारियां होती है। कृत्रिम दुग्ध स्वास्थ के लिये हानिकारक ही नहीं, बल्की जहर के समान है। मिठाई बना कर बेचने वाले दुकानदारों द्वारा मानको का भी अनुपालन नहीं किया जाता है और मिठाई का मूल्य भी वह स्वयं निर्धारित करते हैं।
अब यह देखना जरुरी है की संचालक की अधिकारीयों से सैटिंग तो नहीं या फ़िर शहर के अंदर बैठे विभागीय अधिकारियों के द्वारा छप्पन भोग संचालक के ऊपर कार्यवाही होती है की नहीं।