छत्तीसगढ़

वृक्षों की कटाई से धरती का तापमान एवं ग्लेशियर का खतरा बढ़ते जा रहा है – योगेश मधुकर

कुंजूरात्रे महासमुंदा सकीय उच्च प्राथमिक शाला चिंगरौद में आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रत्येक दिवस मनाएं जा रहे शिक्षा सप्ताह के षष्ठम दिवस पर “एक पेड़ मां के नाम” थीम पर कार्यक्रम आयोजित कर शाला परिसर में वृक्षारोपण किया गया।

उक्त कार्यक्रम में बच्चों को संबोधित करते हुए शिक्षक योगेश कुमार मधुकर ने कहा कि आज जिस तरह हमारे देश एवम् राज्यों में वृक्षों की अंधाधुन कटाई हो रही है उससे हमारे पर्यावरण के तापमान में दिन-ब-दिन वृद्धि होते जा रही है जिसके कारण देश – राज्य के साथ ही साथ विश्व में ग्लेशियर का प्रभाव बढ़ते जा रहा है। वनों की कटाई के कारण ही आज हमारे देश व राज्यों में जगह-जगह खंडवर्षा का प्रभाव देखा जा रहा है जिसके कारण आज हमारे देश एवम् राज्यों की प्रमुख खेतियाँ पिछड़ती जा रही हैं। इसका एक प्रमुख कारण और भी है हमारे राज्य में वर्षाजल तथा उनका संग्रहण केन्द्र का न होना, राज्य में जितने भी बांध हैं उनमें खेती करने योग्य पर्याप्त पानी का अभाव रहता है। उन्होंने कहा कि अगर छत्तीसगढ़ राज्य को पुनः धान का कटोरा कहे जाने वाले राज्य के रूप में देश में अग्रणी बनाना है तो इसके लिए हमें “एक पेड़ मां के नाम” थीम पर आयोजित कार्यक्रम के अनुसार अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाने होंगे और आज का यह थीम मेरे हिसाब से हमारे पर्यावरण एवम् प्रकृति की खुशहाली और समृद्धि लिए सर्वश्रेष्ठ साबित होगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रभारी प्रधान पाठक गणेश राम चंद्राकार ने कहा कि आज जिस तरह हमारे पर्यावरण को हमारे स्वयं के द्वारा नुकसान किया जा रहा है जिसकी भरपाई करना हमारे लिए एक मात्र साधन है वृक्षारोपण करना इसलिए मैं सभी लोगों से अपेक्षा करूंगा कि चाहे वह दुख हो या खुशी का अवसर ही क्यों ना हो या फिर किसी अन्य महापुरुषों के जन्म दिवस पर एक प्रेरणा स्वरूप उनके नाम से एक वृक्ष जरुर लगाए जिससे हमारे पर्यावरण को बचाया व सुरक्षित रखा जा सकता है।

उक्त कार्यक्रम में समग्र शिक्षा शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष संतराम पटेल, शिक्षाविद परदेशी राम साहू, शिक्षक पोखन चंद्राकर एवं डीगेश ध्रुव सहित स्कूल के समस्त छात्र-छात्राओं के द्वारा वृक्षारोपण किया गया।

कार्यक्रम का संचालन शिक्षक योगेश कुमार मधुकर के द्वारा किया गया तथा आभार प्रदर्शन शिक्षाविद परदेसी राम साहू के द्वारा किया गया।

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