छत्तीसगढ़

सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए तथा उनकी शिक्षा पर जोर दिया- योगेश मधुकर 

मिडिल स्कूल चिंगरौद में प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले को नमन किया गया

संपादक कुंज कुमार रात्रे महासमुंद चिगरौंद बैगलेस डे के अवसर पर देश की पहली महिला शिक्षक एवं नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता, महान समाज सेविका सावित्रीबाई फुलेजी की जयंती समारोह का आयोजन शासकीय उच्च प्राथमिक शाला चिंगरौद में मनाया गया।  उक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रभारी प्रधान पाठक गणेश राम चंद्राकर ने कहा कि सावित्रीबाई फुले एक महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और कवयित्री थीं। उनका जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के नायगांव में हुआ था। वह महात्मा ज्योतिराव फुले की पत्नी थीं और उन्होंने महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। बचपन में ही उनका विवाह महात्मा ज्योतिराव फुले के साथ हुआ था जो एक समाज सुधारक थे। ज्योतिराव फुले ने सावित्री बाई को शिक्षा दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें एक शिक्षिका के रूप में प्रशिक्षित किया। उद्बोधन की इसी कड़ी में शिक्षक योगेश कुमार मधुकर ने बच्चों से कहा कि सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया था। उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया और उन्हें शिक्षित करने के लिए कई स्कूलों की स्थापना की

सावित्रीबाई फुले एक कवयित्री भी थीं। उन्होंने कई कविताएं लिखीं जो महिलाओं और दलितों के अधिकारों के बारे में थीं। उनकी कविताओं में सामाजिक न्याय और समानता की भावना को प्रतिबिंबित किया गया है।

सावित्रीबाई फुले की विरासत आज भी जीवित है। वह महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली एक प्रेरणादायक व्यक्ति थीं।   शिक्षक पोखर लाल चंद्राकर ने कहा कि सावित्रीबाई फुले शिक्षक होने के साथ भारत के नारे मुक्ति आंदोलन की पहली नेता समाज सुधारक और मराठी कवयित्री थी इन्होंने बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए समाज का कड़ा विरोध झेलना पड़ा था कई बार तो ऐसा भी हुआ जब इन्हें समाज के ठेकेदारों से पत्थर भी खाने पड़े उद्बोधन की इसी कड़ी में शिक्षक डिगेंश कुमार ध्रुव ने बच्चों से कहा कि उन्होंने छुआछूत, सती प्रथा, बाल विवाह तथा विधवा विवाह जैसी कुरीतियों के विरुद्ध काम किया सावित्री भाई फुले ने सामाजिक एकता शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया वह आज सभी देशवासियों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

उक्त कार्यक्रम में शिक्षकों के द्वारा स्मार्ट टीवी के माध्यम से बच्चों को सावित्रीबाई फुले के जीवन परिचय के बारे में एक लघु फिल्म दिखाकर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।

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