विश्व संस्कृत दिवस पर कहा संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है– योगेश मधुकर
कुंजूरात्रे महासमुंद उच्च प्राथमिक शाला चिंगरौद में “बैगलेश डे” के द्वितीय सप्ताह के अवसर पर शाला प्रांगण में “विश्व संस्कृत दिवस” का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षक योगेश कुमार मधुकर ने बच्चों को प्रथम संस्कृत भाषा के रूप में परिचय कराते हुए कहा कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा संस्कृत भाषा को विश्व में दर्जा दिलाने के लिए सन् 1969 में विश्व संस्कृत दिवस के रूप में मनाए जाने का निर्णय पारित किया गया। संस्कृत दिवस प्रतिवर्ष सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है साथ ही इसी दिन रक्षाबंधन का त्यौहार भी मनाया जाता है। यह भारत की सबसे प्राचीनतम भाषा है और इसे सभी भाषाओं की जननी भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा का विकासक्रम बेहद व्यापक और विस्तृत है तथा इसका व्याकरण बहुत ही सरल एवम् व्यवस्थित है। संस्कृत में ही सारे वेद एवं पुराण लिखे गए हैं। शिक्षा मंत्रालय के निर्देशानुसार विश्व संस्कृत दिवस का आयोजन एक सप्ताह तक किया जाता है। लेकिन बड़ी विडंबना है कि साप्ताहिक आयोजन के संबंध में राज्य शासन का स्पष्ट निर्देश न होने के कारण विश्व संस्कृत दिवस का आयोजन केवल एक ही दिन स्कूलों एवं कॉलेजो में किया जाता है।
उन्होने बच्चों से कहा कि प्राचीन संस्कृत भाषा के आधार पर चारों वेद क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद तथा पुराण और महाकाव्य के रूप में वर्णित महाभारत व रामायण की रचना संस्कृत भाषा में ही किया गया है उन्होंने बच्चों को संस्कृत के नीति श्लोक एवं सुभाषितानि श्लोक का वाचन करते हुए उसका अर्थ अच्छे से समझाया।
प्रभारी प्रधान पाठक गणेश राम चंद्राकर ने बच्चों को प्राचीन संस्कृत भाषा की उत्पत्ति, अर्थ एवं महत्व को तथा हमारे द्वारा लेखबद्ध देवनागरी लिपि के बारे में विस्तार से बताते हुए संस्कृत के नीति श्लोक एवं रामायण श्लोक के माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्रदान की गई।
उक्त कार्यक्रम में कक्षा आठवीं से कुमारी मेघना एवम् कक्षा सातवीं से कुमारी भारती साहू ने “गुरु: ब्रह्मा गुरु: विष्णु गुरुर देवो महेश्वर: गुरु: साक्षात पर ब्रम्हा तस्मै श्रीगुरुवे नमः श्लोक के द्वारा गुरु की महत्ता का वर्णन करते हुए शिक्षक अर्थात गुरु को सर्वोंपरी स्थान देते हुए उसकी व्याख्या की।
कार्यक्रम का संचालन शिक्षक योगेश मधुकर के द्वारा तथा आभार प्रदर्शन शिक्षक पोखन चंद्राकर के द्वारा किया गया। उक्त अवसर पर समस्त छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।