NEW INDIAN LAWS: भारतीय आपराधिक विधि में बदलाव, हत्यारों को 302नहीं, अब धारा 101 में मिलेगी सजा
नई दिल्ली। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। आपराधिक कानून में बदलाव के साथ ही इसमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है।
आपराधिक कानून –
संसद द्वारा पारित तीन विधेयकों ने अब कानून का रूप ले लिया है। देश में अंग्रेजों के जमाने के इन आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले तीन संशोधन विधेयकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी। तीनों नए कानून अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872)
कानूनों में बदलाव के साथ ही इनमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है। आइये जानते हैं आईपीसी की कुछ अहम धाराओं के बदलाव के बारे में? अब इन्हे किस क्रम में रखा गया है? वे पहले किस स्थान पर थीं?
जानते हैं कि भारतीय न्याय संहिता में क्या बदला है?
भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है। 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।
मॉब लिंचिंग की सजा मौत, राजद्रोह कानून होगा खत्म; IPC, CrPC और साक्ष्य अधिनियम में क्या बदलेगा?
बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने इसी साल अगस्त में पेश किए गए पिछले संस्करणों को वापस लेते हुए संसद के निचले सदन में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को फिर से पेश किया था। इन विधेयकों को लोकसभा ने 20 दिसंबर को और राज्यसभा ने 21 दिसंबर को मंजूरी दे दी। राज्यसभा में विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए जाने के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया था। अब 25 दिसंबर को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए। संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।