स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता पर उठ रहा सवालिया प्रश्न चिन्ह
मिड डे मील में दी जाने वाली पौष्टिक अनाज एवम् खाद्य सामग्रियों में मीनू चार्ट के आधार पर पर्याप्त सामग्री नहीं दी जा रही
पत्रकार कुंजूरात्रे महासमुंद महासमुंद भारत सरकार के द्वारा 15 अगस्त 1995 को केंद्रीय प्रायोजित स्कीम के रूप में प्रारंभिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पोषणिक सहायता कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। जिसमें प्रत्येक प्राथमिक एवं मिडिल स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना का शुभारंभ किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों को कुपोषण का शिकार होने से बचाने तथा स्कूलों में बच्चों की पर्याप्त उपस्थित तथा कोई भी पढ़ने वाला बच्चा भूखे पेट ना रहे इस उद्देश्य से इस महत्वपूर्ण योजना का शुरूआत किया गया था। तब से लेकर आज पर्यंत तक प्रत्येक प्राथमिक एवं मिडिल स्कूलों में मध्यान्ह भोजन का संचालन महिला समितियों के माध्यम से किया जा रहा है।लेकिन वर्तमान समय में संचालित मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता पर अब सवालिया प्रश्न चिन्ह उठ रहा है क्योंकि स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली पौष्टिक चावल एवं अन्य खाद्य सामग्रियों की समुचित पर्याप्त मात्रा में न मिलने के कारण उक्त भोजन की गुणवत्ता विहीन होने से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है क्योंकि उनको मिलने वाले संतुलित भोजन में विटामिन ए, विटामिन बी 12, आयरन, कैल्शियम व अन्य मिनरल्स तत्वों की पर्याप्त मात्रा में मध्यान भोजन के रूप में परोसा नहीं जा रहा है। जिसके कारण बच्चे कुपोषित होते दिखाएं दे रहे हैंइस बात की पड़ताल करने के लिए जब बुलेट न्यूज़ महासमुंद ब्लॉक अंतर्गत स्थित स्कूलों जैसे प्राथमिक एवं मिडिल स्कूल चिंगरौद, बम्हनी, नांदगांव तथा साराडीह में जाकर निरीक्षण किया गया। गत दिवस साराडीह प्राथमिक स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 130 एवं मिडिल स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 81 थी। जब मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक राजेश शर्मा से पूछा गया कि मिडिल स्कूल में एक छात्र के पीछे कितने ग्राम दाल, सब्जी तथा कितने ग्राम चावल प्रत्येक दिवस मध्यान्ह भोजन में बनाया जाता है तो उन्होंने अनगर्ल जवाब देते हुए पत्रकार को गुमराह किया। वास्तविक स्थिति की जांच करने के लिए जब मध्यान्ह भोजन कक्ष में जाकर मध्यान्ह भोजन बनाने वाली रसोइयों से पूछा गया कि आज दाल की मात्रा कितने किलोग्राम है तो उन्होंने एक किलो ग्राम दाल का होना बताया। जबकि मध्यान भोजन मीनू के अनुसार प्रति छात्र के हिसाब से 2 किलो 835 ग्राम दाल बनाया जाना था वैसे ही सब्जी केवल 4 किलोग्राम थी जबकि सब्जी 6 किलोग्राम बनना था वर्तमान में केंद्र शासन एवं राज्य शासन के द्वारा मध्यान्ह भोजन में दी जाने वाली चावल को फोर्टीफाइड चावल के रूप में प्रदान किया जा रहा है साथ ही चावल के प्रत्येक बोरियों पर एक पर्ची चस्पा की जा रही है जिसमें उक्त चावल को बनाने की विधि के बारे में तथा फोर्टीफाइड चावल में कौन-कौन से तत्व बच्चों के स्वास्थ्य हेतु मौजूद हैं उनके बारे में लिखा हुआ निर्देश चावल की बोरी में चस्पा होती है। प्रत्येक स्कूल के रसोइयों, प्रधान पाठकों एवं शिक्षकों से जब पूछा गया कि उक्त चावल को आपके माध्यम से कैसा बनाया जाता है तो सभी ने कहा कि चावल को पानी से अलग कर (पसिया भात) दिया जाता है जिससे चावल में उक्त पोषक तत्व पानी के रूप में बहा दिया जाता है जिससे बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता। ऐसी ही स्थिति सभी प्राथमिक एवं मिडिल स्कूलों में देखने को मिली। केंद्र शासन की योजना अनुसार प्राथमिक एवं मिडिल स्कूल के बच्चों के लिए प्रति ग्राम खाद्यान्न की व्यवस्था प्रति दिवस करने हेतु निर्देश जारी किया गया है जिसके अंतर्गत प्राथमिक शाला में प्रति ग्राम अरहर दाल 30 ग्राम, सब्जी 60 ग्राम, चावल प्रति छात्र 100 ग्राम ठीक इसी प्रकार मिडिल स्कूलों में प्रति छात्र चावल 150 ग्राम, दाल 35 ग्राम तथा सब्जी 75 ग्राम प्रति छात्र के हिसाब से मेनू चार्ट के आधार पर केंद्र शासन एवं राज्य शासन के द्वारा निर्धारित किया गया है लेकिन उक्त स्कूलों में जाकर देखा गया है कि मीनू चार्ट के आधार पर तथा प्रति छात्र के आधार पर पर्याप्त खाद्य सामग्री बच्चों को मध्यान्ह भोजन में नहीं दी जा रही है जिसके कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है।
इस संबंध में प्रधान पाठक राजेश शर्मा के बयान से परिलक्षित होता है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है साथ ही प्रत्येक बच्चों के हिसाब से खाद्यान्न सामग्री कितनी मात्रा में देनी है यह जानकारी भी नहीं है।इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रत्येक स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली मध्यान्ह भोजन योजना में गुणवत्तायुक्त पौष्टिक भोजन परोसा जा रहा है। साथ ही उक्त मध्यान्ह भोजन संचालित करने वाली समिततियों के साथ प्रधान पाठकों का सांठ-गांठ धड़ल्ले से चल रहा है। स्कूली बच्चों से जब मध्यान्ह भोजन के बारे में पूछा गया तो अधिकांशतः बच्चों ने मीनू चार्ट के आधार पर भोजन नहीं मिलने की बात कही साथ ही दाल और सब्जी में अधिकांशत पानी युक्त दाल और सब्जी मिलने की बात कहीं।