नेत्रदान पखवाड़ा कार्यक्रम, 25 अगस्त से 8 सितम्बर 2024 )
कुंजूरात्रे महासमुंद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ0 पी. कुदेशिया के निर्देशानुसार एवं नेत्र चिकित्सक डाॅ. मंजूषा चन्द्रसेन एवं खण्ड चिकित्सा अधिकारी डाॅ0 अनिरुद्ध कसार के मार्गदर्शन में दिनांक 03.09.2024 दिन मंगलवार को शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला बिरकोनी महासमुन्द में 39वां राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया गया जिसमें छात्र-छात्राओं को नेत्रदान के संबंध में जानकारी दी गई एवं नेत्र सुरक्षा के उपाय के बारे में विस्तार से बताया गया । विद्यालयीन छात्र-छात्राओं को जानकारी देते हुए बताया गया कि प्रदेश में लगभग 70 हजार व्यक्ति ऐसे हैं जिनका अंधेपन का कारण कार्निया (दृष्टि पटल) में सफेदी आ जाने के कारण होता है। कार्नियल दृष्टिहीनता के मुख्य कारण आंखों में चोट लगना, आंखों में संक्रमण, बच्चों में कुपोषण, जन्मजात दृष्टिहीनता, बच्चों मे विटामिन ए की कमी है। आंखों को नुकीली वस्तुए, पेंसिल, तीन कमान, गिल्ली डंडा के चोट, गाडी चलाते समय चश्मा का प्रयोग, रसायनिक पदार्थों के संपर्क में आने से बचाना है । यदि उन्हें कार्निया (दृष्टि पटल) उपलब्ध हो जाय तो उनकी आॅखेां में रोशनी वापस आ सकती है और वह इस रंगीन दुनिया को फिर से देख सकता है। देश में प्रतिवर्ष 30 लाख कार्निया की जरूरत होती है किन्तु प्रतिवर्ष 30 से 40 हजार कार्निया ही उपलब्ध हो पाती है जिसका मुख्य कारण लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता की कमी होना है। मृत्यु उपरांत नेत्रदान की गई आंखों से हम दो व्यक्तियों के जीवन में अंधापन दूर कर रोशनी ला सकते है और इस पुण्य काम में सहयोग कर सकते हैं ।नेत्रदान मृत्यु के 4 से 6 घंटे के भीतर किया जाता है। इसमें आंखों को न ही बेचा जा सकता है और न ही खरीदा जा सकता है। इसमें न ही जाति, धर्म, लिग में भेदभाव किए बिना दृष्टिहीन लोगों को नेत्रदान से प्राप्त नेत्र को प्रत्यारोपित किया जाता है। कुछ ग्रसित बिमारियों वाले जैसे- सेप्टीसिनिया, हेपेटाईटिस बी, सी, एड्स, ब्लड कैंसर, रैबीज, हैजा, जहर खाने से हुई मृत्यु, सर्पदंश व तालाब में डुब जाने से, फांसी लगाने से मृत व्यक्ति के शरीर से नेत्रदान नहीं किया जा सकता है। नेत्रदान करने वाला व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो, मृत्यु उपरांत अपनी आॅखों को दान कर हमेशा के लिए दूसरों की आॅखों की रोशनी बनकर अमर हो सकता है। इस कार्यक्रम से प्रेरित होकर आम जनों में जागरूकता फ़ैलाने हेतु 15 विद्यालयीन छात्रों द्वारा मरण उपरांत नेत्र दान करने का संकल्प कर घोषणा पत्र भरा गया। द्य कार्यक्रम में छात्राओं द्वारा नेत्र दान से संबंधित चित्रलेखन एवं रंगोली प्रतियोगिता में भाग लिया गया एवं उत्कृष्ट चित्र एवं रंगोली बनाने वाले छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। इस कार्यक्रम में विकासखण्ड महासमुन्द के समस्त नेत्र सहायक अधिकारी श्री संजय चन्द्राकरए श्री अवधेश यादव, श्री रामेश्वर सिन्हा ,श्री भानूप्रताप ध्रुव, श्री आशीष देवांगन, श्री रविकांत देवांगन,, श्रीमती भूनेश्वरी साहू, श्रीमती पुष्पलता नाग एवं कन्या विद्यालय के प्राचार्य श्रीमती टामेश्वरी साहू, व्याख्यातागण श्रीमती रागिनी चन्द्राकर, श्रीमती अनुपमा मानिकपुरी, मनीषा तिर्की, श्री संतराम साहू, श्री मनहरण लाल भट्ट, श्री श्रवण सिन्हा, श्री चित्रसेन साहू, एवं शिक्षक गण श्री महेन्द्र धु्रव, श्रीमती रेणुका श्रीवास्तव, श्री भानेन्द्र सिंह बिसेन एवं कार्यालयीन कर्मचारी उपस्थित थे। मंच संचालन व्याख्याता श्री परसराम सिन्हा द्वारा किया गया।
विनीत संजय चन्द्राकर (नेत्र सहायक अधिकारी) प्राथ.स्वा.केन्द्र बिरकोनी मो.नं. 9826146761