छत्तीसगढ़

खेतों से गायब होती नमी को देखते हुए कृषि

कुंजूरात्रे महासमुंद – मानसूनी बारिश की गति अब चिंता में डालने लगी है। खेतों से गायब होती नमी को देखते हुए कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को अलर्ट रहने की सलाह दी है। वर्षा जल पर निर्भर किसानों से कहा जा रहा है। की अल्प या अति वर्षा जैसी स्थितियों में फसलों को बचाने के लिए आकस्मिक कार्य योजना पर कम करें ताकि नुकसान का प्रतिशत कम किया जा सके। काम या मध्यम अवधि में तैयार होने वाली प्रजाति और दक्ष सिंचाई विधि यह उसे आकस्मिक कार्य योजना के महत्वपूर्ण अंग है ।जिस पर अमल किया जाना जरूरी है दरअसल स्थिति इसलिए नाजुक बन रही है ।क्योंकि बड़े नकबे में देर से तैयार होने वाली धान की बोनी खबर है। चिंता की दूसरी बड़ी वजह यह भी है क्योंकि मौसम का साथ खरपतवार को मिल रहा है। यह स्थिति नुकसान का दायरा बढ़ा सकती है ।
गायब हो रही नमी
सारा दिन तेज धूप। यह धूप खेतों की नहीं घट रही है। सीधा असर पौधों की बढ़वार पर पड़ रहा है। पखवाड़ा बीच जाने के बावजूद जिस मानक ऊंचाई पर पौधे होनी चाहिए थे ।वह नजर नहीं आ रहे हैं। बोनी और नर्सरी दोनों में यह परेशानी आ रही है। उपाय कोई है नहीं इसलिए बरसाने वाले बादलों की राह देख रहे हैं किसान।
अनुकूलन है मौसम इनके लिए
खरपतवार मौसम का पूरा साथ मिल रहा है सतर्क रहना होगा। और शाकनाशी प्रबंधन भी फौरन करने होंगे क्योंकि यह तेजी से फैलाव लेते हैं ।और मुख्य फसल की बढ़वार को प्रभावित करते हैं। इसलिए निगरानी बढ़ानी होगी और किसी वैज्ञानिक को तथा किसी विभाग से संपर्क करना होगा ताकि समय रहते नियंत्रण पाया जा सके।
यह है आकस्मिक कार्य योजना
असामान्य मानसून की स्थितियों से बचाव के लिए बनाई गई ।आकस्मिक कार्य योजना में उत्पादक करता का स्तर बनाए रखने के लिए सुझाव दिए गए हैं ।इसमें सुख की स्थितियों में स्प्रे कलर ड्रिप इरीगेशन और जल संरक्षण पर गंभीरता के साथ काम करने की सलाह दी जाती है ।अति बारिश की स्थिति में जल निकास प्रणाली को मजबूत बनाने का सुझाव है।दोनों ही स्थितियों में शीघ्र तैयार होने वाली प्रजाति की बनी हम है।

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