ग्राम लभरा से लगे डूमरपाली की घटना जैतखाम से लिपटे हुए हैं सांप, नीचे से ऊपर तक रेंगते रहते हैं
जोड़ा जैतखाम पर डेढ़ महीने से नागों का बसेरा
।महासमुन्द शहर से करीब 17 किमी दूर ग्राम डूमरपाली में इन दिनों जोड़ा जैतखाम पर होने वाली हलचल लोगों के लिए कौतुहल का विषय बन गई है। श्वेत पालो चढ़े दोनों जैतखाम में नीचे से ऊपर तक रह-रहकर लहर सी उठती है और लोगों की भीड़ जय जयकार करने लगती है। ग्रामीणों के अनुसार इन जोड़ा जैतखाम पर करीब डेढ़ महीने से नागों ने बसेरा कर रखा है।बताया जाता है कि इन नागों की संख्या करीब सात है, जो जैतखाम से लिपटे हुए हैं तथा नीचे से ऊपर तक रेंगते रहते हैं। कई बार जैतखाम के शिखर तक भी पहुंच जाते हैं और ध्वज के समांतर आधे खड़े हो जाते हैं। कौतुहल और श्रद्धावश लोग यह देखने के लिए जमा रहते हैं। लोगों के जरिए ही यह बात धीरे-धीरे फैल रही है और अन्य गांवों से भी लोग यह देखने के लिए पहुंच रहे हैं। लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि, नागों ने जैतखाम पर बसेरा क्यों कर रखा है? व्यावहारिक और आध्यात्मिक दोनों तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। इन सांपों ने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है और न ही इन सांपों को किसी ने कोई नुकसान पहुंचाया है।
।भक्त रामलाल कोसरिया जी कहते हैं कि नववर्ष की शुरुआत में आसमानी गर्जना के साथ जोड़ा जैतखाम के मध्य स्थित गुरु घासीदास बाबा के छोटे से मंदिर और चबूतरे से लेकर जोड़ा जैतखाम से तेज रोशनी प्रस्फुटित हो रही थी, मानो बिजली चमक रही हो। इसकी अगली सुबह 4 जनवरी को ये सर्प दोनों जैतखाम में दिखाई दिए।
जैतखाम सतनाम पंथ का आध्यात्मिक प्रतीक है, सतनाम पंथ की कीर्ति पताका है, सतनाम पंथ के अनुयायियों की आस्था का स्थल है। ऐसे में लोगों की आस्था का छलकना स्वाभाविक है। लेकिन सतपंथ की मूल भावना के अनुसार यहां इस घटना को चमत्कार बताकर किसी प्रकार का कर्मकांड नहीं किया जा रहा है, बल्कि यह घटना यहां आने वाले लोगों को गुरु घासीदास बाबा की अदृश्य सूक्ष्म उपस्थिति का एहसास करा रही है। लोग कह रहे हैं कि बाबा नागों के रूप स्वयं प्रकट होकर हमारा ध्यान आकर्षित कर रहे हैं और सत्य, अहिंसा, प्रेम, भाईचारा की भावना के साथ न्याय आधारित समतापूर्ण मानव समाज के निर्माण में योगदान के लिए प्रेरित रहे हैं।